बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए खेल और व्यस्त दिनचर्या से जोड़े : भूपेश बघेल

रायपुर. बच्चों में नशे की बढ़ती आदतें न सिर्फ उनसे उनका बचपन छीन रही हैं, बल्कि उनका जीवन भी छीन रही हैं. नयी जीवन शैली में बहुत कुछ ऐसी चीजें शामिल होती जा रही हैं, जो सुविधाएं देने के साथ-साथ नये खतरे भी निर्मित कर रही हैं. इन्हीं में से एक मोबाइल फोन भी है. बड़े-बुजुर्गों की जिम्मेदारी है कि बच्चों को नशे से दूर रखें. बच्चे बड़ो को आदर्श मानते हैं और उनका अनुसरण करते है. बच्चों के सामने ऐसी छवि बनाएं, ताकि बच्चे नशे की तरफ आकर्षित न हों. यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक दायित्व है. यह बात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ बाल संरक्षण आयोग के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही.

मुख्यमंत्री ने राजधानी के न्यू सर्किट हाउस में आयोजित इस कार्यशाला का दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने आयोग की नई वेबसाइट को लॉंच किया. उन्होंने आम लोगों में नशे के प्रति जागरूकता लाने के लिए ब्रोशर और लईका मन के गोठ पुस्तिका का विमोचन किया. उन्होंने प्रतिभाशाली बच्चों को विभिन्न क्षेत्रों में उनकी विशिष्ट उपलब्धियों के लिए प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया. इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, मुख्यमंत्री के सलाहकार विनोद वर्मा, छत्तीसगढ़ राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष तेज कुंवर नेताम और सदस्यगण उपस्थित थे.

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे समाज में बच्चों के अधिकारों का हनन इतना आम हो चुका है कि यह अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है. उन्होंने पुराने दिनों के प्रसंग को याद करते हुए बताया कि बचपन में बच्चे किसी न किसी तरह से नशे के करीब जाते हैं. जब बच्चों की उम्र बढ़ती है तो उनका आकर्षण नशे के प्रति बढ़ते जाता है और वे नशे के आदी हो जाते हैं. यह नशा बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल की परिस्थितियां ऐसी थी कि बच्चे घर से बाहर नहीं जा पाते थे इसने बच्चों में मोबाइल की लत को बढ़ावा दिया. बच्चे ऑनलाइन गेम के साथ ऐसी चीजे भी देखते हैं जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है. मुख्यमंत्री ने सुझाव देते हुए कहा बच्चों को मोबाइल से दूर रखना है तो बच्चों को व्यस्त रखें, उन्हें ऐसी गतिविधियों से जोडं़े जो उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखे. उन्हें खेलने के लिए प्रेरित करें. बच्चे यदि घर में हों तो हमारे पारम्परिक खेल जैसे भौरा, कंचे जैसे खेल खिलाएं और सबसे बड़ी बात ये है कि बच्चों के माता-पिता बच्चों को समय दे, तथा बच्चों के साथ खेल तथा अन्य गतिविधियों में उनके सहभागी बने. मुख्यमंत्री ने नशे के खिलाफ रायपुर, बिलासपुर और सूरजपुर में चल रहे अभियान को पूरे प्रदेश में लागू करने की भी आवश्यकता बताई.

स्कूल शिक्षा मंत्री टेकाम ने कहा कि बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए स्कूलों में औपचारिक शिक्षा दी जा रही है. शासन का प्रयास है कि स्कूलों के पास नशे की दुकान न हों. फिर भी बच्चों में नशे की लत देखने को मिलती है. इसके लिए समाज और स्वैच्छिक संस्थानों की मदद जरूरत है. काउंसलिंग, शिविर और बच्चों को सचेत करने के लिए दृश्य-श्रव्य माध्यमों का प्रयोग कर नशे के नुकसान के बारे में बताया जाना चाहिए.

आयोग की अध्यक्ष नेताम ने आयोग द्वारा बच्चों के संरक्षण के लिए किए जा रहे कामों को विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए शासकीय प्रयासों के साथ-साथ समाज की भी जिम्मेदारी होनी चाहिए. माता-पिता के साथ परिवार के अन्य सदस्य बच्चों को जागरूक करें और नशे से होने वाली दुष्प्रभावों को बताएं. कार्यशाला में विभिन्न शासकीय विभागों और संस्थानों के अधिकारीगण शामिल हुए.

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