चिदंबरम, रमेश और तन्खा ने भरा नामांकन, उम्मीदवारों के चयन को लेकर कांग्रेस में उभरे असंतोष के स्वर

नयी दिल्ली/चेन्नई. राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन को लेकर कांग्रेस में उभरे असंतोष के बीच सोमवार को पार्टी के प्रत्याशियों पी चिदंबरम, जयराम रमेश, विवेक तन्खा और इमरान प्रतापगढ़ी ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. उम्मीदवारों के चयन को लेकर सवाल खड़े करने में सबसे मुखर आवाज अभिनेत्री और महिला कांग्रेस की महासचिव नगमा मोरारजी की सामने आई है. उन्होंने मुख्य रूप से इमरान प्रतापगढ़ी की उम्मीदवारी पर सवाल खड़े किए और दावा किया कि उनसे उच्च सदन में भेजे जाने का वादा 18 साल पहले किया गया था, लेकिन यह आज तक पूरा नहीं हुआ.

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा, पार्टी नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम और कुछ अन्य नेताओं ने भी राज्यसभा के लिए पार्टी के उम्मीदवारों के चयन के संदर्भ में दबी जुबान या फिर खुलकर अपनी नाखुशी जाहिर की. उम्मीदवारों के चयन को लेकर पार्टी में उभरे इस असंतोष के बीच, चिदंबरम ने तमिलनाडु, रमेश और मंसूर अली खान ने कर्नाटक, तन्खा ने मध्य प्रदेश और प्रतापगढ़ी ने महाराष्ट्र से अपना नामांकन पत्र भरा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम ने नामांकन पत्र भरने के बाद उम्मीदवारों के चयन पर अपनी पार्टी के भीतर चल रहे असंतोष पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया.

तमिलनाडु से राज्यसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद चिदंबरम ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन और वाम दलों सहित द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक)-कांग्रेस गठबंधन के अन्य सहयोगियों को धन्यवाद दिया. चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने सभी के समर्थन से नामांकन पत्र दाखिल किया है. कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए 10 जून को होने वाले चुनाव के वास्ते रविवार को 10 उम्मीदवारों की घोषणा की थी. पी चिदंबरम को तमिलनाडु से, जयराम रमेश को कर्नाटक से, अजय माकन को हरियाणा से और रणदीप सुरजेवाला को राजस्थान से उम्मीदवार बनाया गया है.

पार्टी ने मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी को राजस्थान से, विवेक तन्खा को मध्य प्रदेश से, राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन को छत्तीसगढ़ से तथा इमरान प्रतापगढ़ी को महाराष्ट्र से उम्मीदवार बनाया है. उम्मीदवारों की घोषणा के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने रविवार रात परोक्ष रूप से अपनी नाखुशी का इजहार किया. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘शायद मेरी तपस्या में कुछ कमी रह गई.’’ खेड़ा के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए नगमा ने कहा, ‘‘हमारी भी 18 साल की तपस्या कम पड़ गई, इमरान (प्रतापगढ़ी) भाई के आगे .’’ कांग्रेस प्रवक्ता खेड़ा ने एक वीडियो जारी कर अपनी कथित नाराजगी की चर्चा को खारिज करने का प्रयास किया और कहा कि निजी महत्वाकांक्षा को अलग रखकर पार्टी की विचारधारा के लिए लड़ना है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी महत्वाकांक्षा कांग्रेस की विचारधारा के अनुसार कतार के अंतिम व्यक्ति के हक की लड़ाई लड़ने और जहरीली विचाराधारा को परास्त करने की है. आप लोग (कार्यकर्ता एवं समर्थक) रोजाना बिना किसी पद के लड़ रहे हैं. आपका जज्बा मुझे सिखाता है. सोनिया जी ने एक पद (प्रधानमंत्री का पद) को ठुकराया था और हमारी विचारधारा को मजबूती दी थी. यह हमारे लिए मिसाल है.’’

खेड़ा ने कहा, ‘‘हम अपनी निजी महत्कांक्षा को लेकर अंधे नहीं हो सकते, भावुक नहीं हो सकते. यह लड़ाई लंबी है, विचारधारा की लड़ाई. हरिवंश राय बच्चन कहते थे-जलने से भयभीत ना जो हो, आए मेरी मधुशाला. आइए कंधे से कंधा मिलाकर लड़ें और कांग्रेस की विचाराधारा को मजबूत करें.’’ नगमा ने राज्यसभा उम्मीदवार के तौर पर प्रतापगढ़ी के चयन को लेकर खुलकर नाराजगी जताई.

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘हमारी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया जी ने 2003-04 में मुझसे उस वक्त राज्यसभा भेजने का वादा किया था, जब मैं पार्टी में शामिल हुई थी. उस वक्त हम लोग सत्ता में नहीं थे. इसके बाद 18 साल हो गए और उन्हें मुझे राज्यसभा भेजने का मौका नहीं मिला, इमरान के लिए मौका मिल गया. मैं यह पूछना चाहती हूं कि क्या मैं कम हकदार हूं?’’ कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने खुलकर अपना असंतोष प्रकट किया. उन्होंने खेड़ा के एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा, ‘‘प्रतिभाओं का ‘दमन’ करना पार्टी के लिये ‘आत्मघाती’ कÞदम है.’’

कृष्णम ने नगमा की ‘‘18 साल की तपस्या’’ वाली टिप्पणी को लेकर कहा, ‘‘सलमान ख़ुर्शीद, तारिक अनवर और (गुलाम नबी) आजÞाद साहब की तपस्या तो 40 साल की है, वे भी शहीद हो गए.’’ कांग्रेस द्वारा राजस्थान से राज्यसभा की तीन सीट के लिए अगले महीने होने जा रहे चुनाव में ‘बाहरी’ नेताओं को उम्मीदवार बनाए जाने का भी विरोध हुआ है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार एवं निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कांग्रेस आलाकमान से अपने फैसले पर पुर्निवचार करने का आग्रह किया है.

लोढ़ा ने रविवार रात हैशटैग ‘कांग्रेस संकल्प’ के साथ ट्वीट किया, ‘‘कांग्रेस पार्टी को यह बताना चाहिए कि राजस्थान के किसी भी कांग्रेस नेता/कार्यकर्ता को राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी नहीं बनाने के क्या कारण हैं?’’ उन्होंने सोमवार को एक वीडियो बयान जारी कर कहा कि ‘बाहरी’ उम्मीदवारों के चयन से स्थानीय कार्यकर्ता नाउम्मीद हुए हैं और पार्टी को अपने फैसले पर पुर्निवचार करना चाहिए.

भाजपा नीत केंद्र सरकार कांग्रेस पार्टी की विचारधारा से डरती है : चिदंबरम

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार को उनसे नहीं बल्कि उनकी पार्टी की विचारधारा से डर लगता है. चिदंबरम ने 10 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन पर अपनी पार्टी के भीतर चल रहे असंतोष पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया.

तमिलनाडु से राज्यसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल करने के बाद चिदंबरम ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन और वाम दलों सहित द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक)-कांग्रेस गठबंधन के अन्य सहयोगियों को धन्यवाद दिया. चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने सभी के समर्थन से नामांकन दाखिल किया है.

उनकी उम्मीदवारी को लेकर राज्य इकाई में एकमत होने का संकेत देते हुए चिदंबरम ने कहा कि तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के. एस. अलागिरी और कांग्रेस विधायक दल के नेता के. सेल्वापेरुन्थगई सहित तमिलनाडु कांग्रेस के सभी नेताओं की उपस्थिति में अधिकारियों को नामांकन सौंपा गया. उन्होंने कहा कि जब यह बात पार्टी की शीर्ष नेता सोनिया गांधी को बताई गई तो उन्होंने खुशी जताई और इसकी सराहना की.

उनके बेटे और पार्टी सांसद कार्ति चिदंबरम से संबंधित परिसरों में हाल ही में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की तलाशी के बारे में पूछे जाने पर, कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय सहित केंद्रीय एजेंसियों पर नए विचार व्यक्त करने की कोई आवश्यकता नहीं है.

यह पूछे जाने पर कि केंद्र सरकार को उनसे क्यों ‘डरना’ चाहिए, चिदंबरम ने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं लगता. उन्होंने कहा ”उन्हें मुझसे क्यों डरना चाहिए? क्या मैं शेर या बाघ हूं? मैं एक इंसान हूं, लेकिन एक आदमी जो कांग्रेस पार्टी को दर्शाता है.” चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने अपने लेखन और भाषणों में पार्टी की विचारधारा को रेखांकित किया है. उन्होंने कहा “मुझे नहीं लगता कि वे मुझसे डरते हैं… वे कांग्रेस पार्टी की विचारधारा से डरते हैं.” द्रमुक द्वारा केंद्र के बजाय ‘संघ’ शब्द के इस्तेमाल के सवाल पर उन्होंने कहा कि संविधान ‘संघ’ शब्द का इस्तेमाल करता है न कि केंद्र सरकार का.

राज्यसभा के चुनाव के लिए 10 उम्मीदवारों के चयन को लेकर पार्टी के भीतर उभरे असंतोष के सवाल पर, चिदंबरम ने कहा, “केवल 10 सीटें हैं जो हम जीत सकते हैं. वे इसे केवल 10 उम्मीदवारों को ही दे सकते हैं, आप क्या करेंगे?” अन्य राज्यों में ‘अधिक योग्य उम्मीदवारों’ को अवसर नहीं दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा “मैं इस पर कैसे टिप्पणी कर सकता हूं? मैं उम्मीदवारों का चयन नहीं कर रहा हूं. कांग्रेस पार्टी उम्मीदवारों का चयन करती है. उदाहरण के लिए, कई योग्य उम्मीदवार हैं. यह कहने वाला मैं पहला व्यक्ति हूं कि भारत में कांग्रेस पार्टी में मुझसे अधिक योग्य उम्मीदवार हैं.” जबरन धर्मांतरण (कुछ ईसाई समूहों द्वारा) के प्रयास संबंधी भाजपा के आरोपों पर चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने कई अन्य लोगों की तरह ईसाई संस्थानों में अध्ययन किया. उन्होंने इसे बेतुका व झूठा आरोप करार दिया.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा “ऐसे सैकड़ों और हजारों बच्चे हैं जो ईसाई स्कूलों में पढ़ रहे हैं. कई पीढ़ियां हैं जो ईसाई स्कूलों और कॉलेजों से लाभान्वित हुई हैं. किसी ने भी किसी को धर्मांतरित करने का प्रयास नहीं किया है. यह एक झूठा आरोप है. इसे शुरुआत में ही खत्म किया जाना चाहिए और मैं मुझे यकीन है कि तमिलनाडु के लोग इसे जड़ से खत्म कर देंगे.” यह पूछे जाने पर कि भाजपा इस तरह के आरोप क्यों लगा रही है, उन्होंने कहा “आप प्रधानमंत्री से पूछ सकते थे, जब वह यहां थे.”

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