बाड़मेर तेल क्षेत्र से संबंधित वेदांता लिमिटेड की अपील पर न्यायालय ने केंद्र से जवाब मांगा

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने वेदांता लिमिटेड की एक अपील पर केंद्र से शुक्रवार को जवाब मांगा. यह अपील कंपनी ने राजस्थान के बाड़मेर तेल क्षेत्र में तेल उत्पादन को लेकर ओएनजीसी और वेदांता के बीच हुए उत्पादन साझेदारी अनुबंध (पीएससी) के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर की थी.

दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें केंद्र को बाड़मेर तेल क्षेत्र से तेल उत्पादन के लिए वेदांता लिमिटेड और ओएनजीसी के साथ पीएससी को 2030 तक बढ़ाने का निर्देश दिया गया था. वेदांता लिमिटेड ने खंडपीठ के 26 मार्च के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रूख किया था.

वेदांता लिमिटेड का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे की दलीलें सुनने के बाद प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने नोटिस जारी करने का निर्देश दिया. केंद्र और ओएनजीसी की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि नोटिस प्राप्त कर लिया गया है. उन्होंने जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का वक्त मांगा.

इससे पहले केंद्र ने बाड़मेर तेल क्षेत्र से तेल का उत्पादन करने के लिए वेदांत लिमिटेड और ओएनजीसी के साथ अपने पीएससी को 2030 तक बढ़ाने का निर्देश देने वाले एकल न्यायाधीश पीठ के फैसले को उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी.
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने वेदांता के खिलाफ केंद्र की अपील को स्वीकार कर लिया. इसके बाद वेदांता ने शीर्ष अदालत का रुख किया.

खंडपीठ ने कहा था कि केंद्र कंपनी के साथ उत्पादन साझेदारी अनुबंध (पीएससी) को 10 वर्षों तक बढ़ाने के लिए बाड़मेर तेल क्षेत्र से वेदांत द्वारा उत्पादित तेल से प्राप्त लाभ में 10 प्रतिशत अधिक हिस्सेदारी मांग सकता है. अदालत ने यह भी कहा था कि वेदांत को राज्य के हितों की अनदेखी करते हुए एकतरफा शर्तों पर पीएससी के विस्तार की मांग करने का अधिकार नहीं है. इससे पहले उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने माना था कि वेदांता पूर्व शर्तों पर 10 साल के लिए अपने अनुबंध के विस्तार का हकदार था. ये अनुबंध 2020 में खत्म होने वाला था.

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