श्रीलंका के रामबुक्काना में हटाया गया कर्फ्यू, प्रदर्शनकारियों पर पुलिस गोलीबारी की जांच शुरू

कोलंबो. श्रीलंकाई अधिकारियों ने हिंसा प्रभावित दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र रामबुक्काना से बृहस्पतिवार को कर्फ्यू हटाने की घोषणा की. एहतियात के तौर पर रामबुक्काना में सुरक्षार्किमयों को तैनात किया गया है. पुलिस के मुताबिक बृहस्पतिवार को स्थानीय समयानुसार सुबह पांच बजे कर्फ्यू हटा लिया गया. देश में ईंधन की कीमतों में ताजा बढ़ोतरी के खिलाफ रामबुक्काना में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे निहत्थे लोगों पर पुलिस की ओर से की गई गोलीबारी के बाद भड़की हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी जबकि 13 अन्य घायल हो गए थे.

एक अधिकारी के अनुसार, कोलंबो से लगभग 90 किलोमीटर उत्तर पूर्व में रामबुक्काना के अस्पताल में भर्ती 14 प्रदर्शनकारियों में से कम से कम तीन की हालत गंभीर बनी हुई है. इसके अलावा इस हिंसा में 15 पुलिसकर्मी भी घायल हो गए थे. पुलिस की गोली लगने से मरने वाले 41 वर्षीय व्यक्ति चांिमडा लक्षन के दो बच्चे हैं.

चांिमडा की 16 वर्षीय बेटी पीयूमी लक्षनी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं अपने पिता की मौत के लिए न्याय चाहती हूं. मुझे पैसे या कोई अन्य मदद नहीं चाहिए.’’ पीयूमी ने कहा कि उसके पिता प्रदर्शनकारी नहीं थे और अपनी मोटरसाइकिल के लिए पेट्रोल खरीदने गए थे.
इस बीच, सरकार ने कहा कि चांिमडा के अंतिम संस्कार के मद्देनजर रामबुक्काना इलाके में सैनिकों को बुलाया गया है. सेना के जवान शनिवार तक वहीं तैनात रहेंगे.

श्रीलंका के विदेश मंत्री जी एल पेइरिस ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने मानवाधिकार आयोग से पुलिस गोलीबारी और इस हिंसा की निष्पक्ष जांच करने का अनुरोध किया है. हम ईमानदारी से इसकी जांच कराना चाहते हैं और कुछ भी छिपाना नहीं चाहते हैं.’’  र्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय के शीर्ष नौकरशाह जगत एलविस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने 33,000 लीटर ईंधन वाले टैंकर को आग लगाने की कोशिश की थी. पुलिस को प्रदर्शनकारियों को ऐसा करने से रोकने के लिए मजबूर होकर गोलियां चलानी पड़ीं.

एलविस ने कहा कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाने में अत्यधिक शक्ति का इस्तेमाल किया था या नहीं, इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति नियुक्त की गई है. अमेरिका, यूरोपीय संघ के दूतावासों और संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय शीर्ष अधिकारी ने पुलिस गोलीबारी की ंिनदा करते हुए बयान जारी किए हैं.

श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से अब तक के इतिहास में, अभूतपूर्व आर्थिक और ऊर्जा संकट का सामना कर रहा है. देश में ईंधन की कीमतें आसमान छू रहीं हैं. श्रीलंका में लोग राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे और उनकी पार्टी श्रीलंका पोदुजाना (पेरामुना) के नेतृत्व वाली सरकार के इस्तीफे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

Related Articles

Back to top button