बीसीसीआई के पूर्व सचिव अमिताभ चौधरी का निधन

रांची. भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व सचिव एवं झारखंड राज्य क्रिकेट संघ (जेएससीए) के पूर्व अध्यक्ष अमिताभ चौधरी का मंगलवार को हृदय गति रुकने से निधन हो गया. वह 62 वर्ष के थे. चौधरी का जन्म छह जुलाई, 1960 को हुआ था और वह झारखंड कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रहे.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चौधरी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, ‘‘झारखंड लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष अमिताभ चौधरी जी के आकस्मिक निधन की दु:खद खबर मिली. पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ने राज्य में क्रिकेट के खेल को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. परमात्मा दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोक संतप्त परिवार को दु:ख की घड़ी सहन करने की शक्ति दे.’’

रांची स्थित सेंटेविटा अस्पताल के चिकित्सक डा. वरुण कुमार ने बताया कि झारखंड लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष अमिताभ चौधरी को दिल का दौरा पड़ने के बाद सुबह लगभग पौने आठ बजे आपात चिकित्सा कक्ष में लाया गया जहां उन्हें बचाने के लिए चिकित्सकों के दल ने पूरा प्रयास किया लेकिन उन्हें नहीं बचाया जा सका और लगभग नौ बजे उनका निधन हो गया. सोमवार को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण के बाद उनकी तबीयत थोड़ी खराब हो गयी थी. लेकिन अशोक नगर स्थित अपने निवास पर ही उन्होंने आराम किया.

आईआईटी खड़गपुर के छात्र रहे चौधरी का झारखंड को प्रथम श्रेणी दर्जा दिलाने में काफी योगदान रहा . उनके प्रयास से ही रांची में झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैदान का निर्माण करा पाया था. दिवंगत जगमोहन डालमिया के कार्यकाल में बिहार क्रिकेट संघ भंग होने के बाद महेंद्र ंिसह धोनी बिहार से झारखंड के लिये खेलने लगे और अपने कैरियर के अंत तक इसी प्रदेश के लिये खेले. चौधरी बीसीसीआई के संयुक्त सचिव भी रहे और कई मौकों पर भारतीय टीम के प्रशासनिक मैनेजर भी रहे . उनके कैरियर का सबसे कठिन दौरा 2005 का जिम्बाब्वे दौरा रहा जब तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली और कोच ग्रेग चैपल के बीच झड़प हुई थी.

बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने कहा ,‘‘ अमिताभ चौधरी के निधन से मैं स्तब्ध और दुखी हूं . उनके साथ मेरा लंबा साथ रहा और पहली बार जिम्बाब्वे दौरे पर मैंने उन्हें जाना . मैं कप्तान था और वह टीम मैनेजर .’’ उन्होंने कहा ,‘‘ समय के साथ साथ हमारी बातचीत बढी और खेलों को लेकर उनका जुनून जगजाहिर था . आज हमारे पास रांची में विश्व स्तरीय स्टेडियम और परिसर उनके अथक प्रयासों की देन है . उनके दोस्तों और परिवार को दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनायें .’’

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