ज्ञानवापी मामला: हिंदू पक्ष बोला- शिवलिंग फव्वारा है तो चला कर दिखाएं, मुस्लिम पक्ष ने कहा, तैयार हैं हम

वाराणसी/नयी दिल्ली/लखनऊ. ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने में मिले ‘शिवलिंग’ को फव्वारा बताने वाले मुस्लिम पक्ष को अपना दावा साबित करने की चुनौती दी है. ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति ने इसे स्वीकार करते हुए कहा है कि उसे फव्वारे को चला कर दिखाने में कोई परेशानी नहीं है.

जैन ने बुधवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले शिवलिंग को फव्वारा बता रहा है और अगर वह वाकई फव्वारा है तो वह उसे चला कर दिखाएं. उन्होंने कहा “अगर वह फव्वारा है तो उसके नीचे पानी की आपूर्ति की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए. जहां शिवलिंग मिला है उसके नीचे तहखाने की जांच की जाए और शिवलिंग के आकार को नापने की भी इजाजत दी जाए.” इस बीच, ज्ञानवापी मस्जिद की रखरखावकर्ता संस्था ‘अंजुमन इंतजामिया मसाजिद’ के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने कहा कि उस फव्वारे की जांच कराने का मौका दिया जाए और वह इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं.

उन्होंने कहा “अगर हमें इजाजत दी जाए तो हम उस फव्वारे के नीचे पाइप लगाकर पानी निकालने को भी तैयार है. हौज (जलकुंड) में पहले सरकारी पाइप से पानी भरा जाता था, अब कुएं से जेट पंप लगाकर पानी भरा जाता है. फव्वारे का पाइप अलग है. फव्वारे के पास भी पाइप लगा है ताकि पानी का फव्वारा निकले.” यासीन ने बताया कि फव्वारे की एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, उसमें ऊपर की तरफ चार निशान बने हुए हैं. उन्हीं में से फव्वारा निकलता था. हम उसे चला कर दिखा देंगे.

उन्होंने बताया कि सर्वे वाले दिन उन निशानों में से एक में एक सलाई डाली गई थी जो लगभग 64 सेंटीमीटर अंदर चली गई थी. यानी कि वह छेद है जिसमें से पानी निकलता था. यासीन ने बताया कि सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रहा है, वह हौज की सफाई के वक्त का है जो लॉकडाउन के वक्त कराई गई थी और हर छह महीने पर हौज की सफाई कराई जाती है.

गौरतलब है कि पिछली 16 मई को अदालत के आदेश पर संपन्न हुए ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंदू पक्ष ने मस्जिद के वजू खाने में बने हौज में शिवलिंग मिलने का दावा किया था. उसके बाद अदालत के निर्देश पर उस स्थान को सील कर दिया गया. मुस्लिम पक्ष शुरू से ही शिवलिंग बताए जा रहे पत्थर को फव्वारा करार दे रहा है.

तथ्यों को सामने आने देना चाहिए : आरएसएस ने ज्ञानवापी मुद्दे पर कहा

काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे पर जारी विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने बुधवार को कहा कि तथ्यों को सामने आने दिया जाना चाहिए . आरएसएस के संवाद प्रकोष्ठ इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने इस विषय पर विचार व्यक्त किये .

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं समझता हूं कि ज्ञानवापी मुद्दे का तथ्य सामने आने दिया जाना चाहिए . सच्चाई को अपना रास्ता तलाशने देना चाहिए .’’ गौरतलब है कि मस्जिद, प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब स्थित है . एक स्थानीय अदालत, हिन्दू महिलाओं के एक समूह द्वारा इसकी दीवार से लगी प्रतिमाओं के समक्ष दैनिक पूजा अर्चना करने संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रही है.

वकीलों की हड़ताल के कारण नहीं हुआ अदालत में काम

ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले में एक सरकारी अधिकारी की टिप्पणी के विरोध में वकीलों की हड़ताल के बाद बुधवार को यहां की स्थानीय अदालत में सुनवाई नहीं हो सकी. मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश अधिवक्ता अभय यादव ने कहा कि बनारस बार एसोसिएशन और सेंट्रल बार एसोसिएशन वाराणसी, उप्र शासन के विशेष सचिव की टिप्पणी से नाराज हैं . इसलिए वकीलों ने बुधवार को कार्य बहिष्कार किया और इसी कारण आज अदालत में सुनवाई नहीं हुई.

अभय यादव ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने आज अर्जी देकर ंिहदू पक्ष की उस याचिका पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए अदालत से दो दिन का समय मांगा है जिस पर अदालत ने अभी तक फैसला नहीं दिया है . हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर पूरे देश की निगाहें टिकी है. उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में हमने बनारस बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को पत्र लिख कर इस मामले में सुनवाई करने के लिये आज छूट की मांग की थी. अधिवक्ताओं के हित को देखते हुए बार काउंसिल ने अपनी असहमति जता दी है. अदालत के खुलने पर अब याचिका पर सुनवाई होगी.’’ ज्ञानवापी मामले में दाखिल दो याचिकाओं पर आज सुनवाई होनी थी.

मंगलवार को रेखा पाठक, मंजू व्यास और सीता साहू ने अदालत में अर्जी देकर कहा था कि जहाँ शिवंिलग स्थित है उसके पूरब की तरफ दीवार में तहखाना है, जिसे ईंट, पत्थर और सीमेंट से बंद कर दिया गया है. इसमें मांग की गयी है कि नंदी के मुख के सामने वाले तहखाने को मलबे से ढंक दिया गया है, जिसे हटाते हुए कमीशन की कार्रवाई की जाये. अदालत ने इस अर्जी को स्वीकार करते हुए बुधवार को सुनवाई के आदेश दिया था.

साथ ही जिला शासकीय अधिवक्ता महेंद्र पांडे की ओर से परिसर में स्थित मानव निर्मित तालाब के पानी में से मछलियों को हटाने की मांग करने के साथ ही वाजुखाने की पाइप लाइन को शिफ्ट करने के लिए याचिका मंगलवार को दाखिल की गई थी. जिसकी आज सुनवाई होनी थी.

मुसलमानों की इबादतगाहों को निशाना बनाए जाने पर रुख स्पष्ट करे सरकार : मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

देश में मुसलमानों के प्रमुख संगठन आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने देश में मुसलमानों की इबादतगाहों को कथित रूप से निशाना बनाए जाने पर सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की है. बोर्ड ने ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में मस्जिद इंतजामिया कमेटी और उसके वकीलों को विधिक सहायता मुहैया कराने का फैसला किया है. बोर्ड ने इबादतगाहों पर विवाद खड़ा करने की ‘असल मंशा’ के बारे में जनता को बताने के लिए जरूरत पड़ने पर देशव्यापी आंदोलन चलाने का भी निर्णय लिया है.

बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य कासिम रसूल इलियास ने बुधवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि बोर्ड की कार्यकारी समिति (र्विकंग कमेटी) की मंगलवार देर रात एक आपात वर्चुअल बैठक हुई जिसमें कई अहम फैसले लिए गए. उन्होंने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही मस्जिद ईदगाह मामलों का जिक्र करते हुए बताया कि बैठक में इस बात पर अफसोस जाहिर किया गया कि मुल्क में मुसलमानों की इबादतगाहों को निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि बैठक में इस बात पर भी अफसोस जताया गया कि वर्ष 1991 में संसद में सबकी सहमति से बनाए गए पूजा स्थल अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.

इलियास ने कहा, ‘‘बैठक में इस बात पर अफसोस जताया गया कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें खामोश हैं. इसके अलावा खुद को धर्मनिरपेक्ष पार्टी कहने वाले राजनीतिक दल भी चुप्पी साधे हुए हैं. बोर्ड ने उन सभी से मांग की है कि वे इस पर अपना रुख स्पष्ट करें.’’ इलियास ने बताया कि बोर्ड ने यह भी कहा कि इबादतगाहों को लेकर निचली अदालतें जिस तरह से फैसले ले रही हैं, वह अफसोस की बात है. अदालतें अवाम को मायूस ना करें क्योंकि इससे इंसाफ की जो आखिरी उम्मीद होती है वह कहीं खत्म ना हो जाए.

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