इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश नहीं किया जाना चाहिए : चंद्रप्रकाश द्विवेदी

नयी दिल्ली. फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ के निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी का कहना है कि इतिहास पर फिल्म बनाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है और वह कोशिश करते हैं कि ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़े-मरोड़े बिना अपनी कल्पना से कहानी को मनोरंजन परक बनाया जा सके. राजपूत योद्धा एवं सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जीवन पर आधारित फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ शुक्रवार को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हो गयी. फिल्म में अभिनेता अक्षय कुमार ने सम्राट पृथ्वीराज की भूमिका निभाई है.
द्विवे

दी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘‘किसी को भी इतिहास और उससे जुड़े तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर अथवा विकृत रूप में प्रस्तुत नहीं करना चाहिए. ऐतिहासिक घटनाओं को लेकर जहां भी इतिहास मौन रहता है, मैं उन किस्सों को ढूंढता हूं और उनका विस्तार करता हूं. यही एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां मैं अपनी कल्पना का उपयोग करता हूं और यही प्रत्येक लेखक करता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं ऐतिहासिक तथ्यों को दरकिनार नहीं करता हूं. मैं ऐसा कुछ नहीं करता जो प्रमाणिकता और इतिहास के खिलाफ हो.’’ निर्देशक ने कहा कि दर्शकों के लिए नयी-नयी कहानियों पर फिल्म बनाने में उन्हें आनंद आता है.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इतिहास और ऐतिहासिक विषयों पर फिल्म बनाने के कार्य को एक चुनौती के रूप में देखता हूं. उस युग को फिर से पुनर्जीवित और पर्दे पर दिखाना जो आपकी चेतना का हिस्सा नहीं है, एक चुनौतीपूर्ण काम होता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा जन्म 1960 में हुआ था. मैंने 1947 या उससे पहले का भारत नहीं देखा है. इस फिल्म के जरिए हमने 12वीं सदी के भारत को फिर से प्रर्दिशत करने की कोशिश की है.’’ द्विवेदी ने कहा कि किसी ऐतिहासिक शख्सियत पर आधारित अन्य फिल्मों के विपरीत, उनके लिए इस फिल्म में अधिक काल्पनिकता का सहारा लेने की कोई गुंजाइश नहीं थी. द्विवेदी को टेलीविजन धारावाहिक ‘‘चाणक्य’’ और विभाजन पर आधारित फिल्म ‘‘ंिपजर’’ के निर्देशन के लिए जाना जाता है.

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