भारत पारंपरिक चिकित्सा उत्पादों के लिए ‘आयुष चिह्न’ जारी करेगा: मोदी

गांधीनगर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि भारत जल्द ही पारंपरिक चिकित्सा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ‘आयुष चिह्न’ जारी करेगा जो देश के आयुष उत्पादों की गुणवत्ता को प्रामाणिकता प्रदान करेगा. ‘‘हील इन इंडिया’’ की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जल्द ही उन लोगों के लिए एक विशेष आयुष वीजा श्रेणी शुरू करेगा जो इलाज के पारंपरिक तरीकों के लिए देश आते हैं.

मोदी ने यहां महात्मा मंदिर में तीन दिवसीय वैश्विक आयुष निवेश और नवाचार सम्मेलन का उद्घाटन किया. इस मौके पर मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रंिवद जगन्ननाथ और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महासचिव डॉ टेड्रोस अधनोम घेब्रेसियस भी मौजूद थे.
उन्होंने कहा, ‘‘आयुष आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी को दर्शाता है. भारत में इन वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों के लिए सर्मिपत एक केंद्रीय मंत्रालय है.’’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘ भारत जल्द ही आयुष चिह्न जारी करेगा, जो देश के आयुष उत्पादों की गुणवत्ता को प्रमाणिकता प्रदान करेगा. नवीनतम तकनीक का उपयोग करके पुनरीक्षित उत्पादों को चिह्न दिया जाएगा. इससे विश्व के लोगों को विश्वास होगा कि वे गुणवत्तापूर्ण आयुष उत्पाद खरीद रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पारंपरिक चिकित्सा ने केरल में पर्यटन को बढ़ाने में मदद की. यह ताकत पूरे भारत में, भारत के कोने-कोने में है. ‘हील इन इंडिया’ इस दशक का एक बड़ा ब्रांड बन सकता है. आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध आदि पर आधारित स्वास्थ्य केंद्र बहुत लोकप्रिय हो सकते हैं.’’

उन्होंने कहा कि विशेष ‘‘आयुष वीजा’’ उन लोगों की मदद करेगा जो भारत में पारंपरिक उपचार कराना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि आयुष के क्षेत्र में निवेश और नवाचार की संभावनाएं अनंत हैं क्योंकि देश में आयुष दवाओं, पूरक और सौंदर्य प्रसाधनों के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है.

मोदी ने कहा, ‘‘2014 से पहले, जहां आयुष सेक्टर तीन अरब अमेरिकी डॉलर से भी कम का था. आज ये बढ़कर 18 अरब अमेरिकी डॉलर के भी पार हो गया है.’’ उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, आयुष आधारित नैदानिक उपकरण और टेली-मेडिसिन में भी निवेश और नवाचार की संभावनाएं हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी का भारत अपने अनुभव, ज्ञान और सूचनाओं को दुनिया के साथ साझा कर आगे बढ़ना चाहता है. उन्होंने कहा, ‘‘आयुर्वेद की समृद्धि का मुख्य कारण इसका खुला स्रोत (ओपन सोर्स) मॉडल रहा है. आयुर्वेद ओपन सोर्स परंपरा के माध्यम से विकसित हुआ है.’’ उन्होंने कहा कि किसानों को आयुष उत्पाद बनाने वाली कंपनियों से जोड़ने के लिए सरकार आयुष ई-मार्केट पोर्टल के आधुनिकीकरण और विस्तार पर भी काम कर रही है. उन्होंने कहा कि औषधीय पौधे किसानों की आय बढ़ाने का एक अच्छा स्रोत हो सकते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘इसमें रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं हैं. लेकिन हमने देखा है कि ऐसे संयंत्रों और उत्पादों के लिए बाजार सीमित और विशिष्ट हैं. यह बहुत जरूरी है कि औषधीय पौधों के उत्पादन में लगे किसानों को बाजार से आसानी से जुड़ने की सुविधा मिले.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल में स्थापित आयुष निर्यात संवर्धन परिषद निर्यात को प्रोत्साहित करेगी और विदेशी बाजारों को खोजने में मदद करेगी. उन्होंने कहा कि सरकार अनुसंधान को बढ़ावा देने और आयुष निर्माण को नई दिशा देने के लिए आयुष पार्कों का एक नेटवर्क बनाने जा रही है. उन्होंने कहा कि कोविड??-19 महामारी ने हल्दी के निर्यात में वृद्धि की, जिसे प्रतिरक्षा-बूस्टर के रूप में देखा गया.

उन्होंने कहा कि इसी अवधि के दौरान, आधुनिक दवा कंपनियों ने बहुत ही कम समय में भारत में निर्मित कोविड-19 टीके विकसित किए, जो यह दिखाता हैं कि ‘‘जब उन्हें सही समय पर निवेश मिला तो वे कितना बड़ा काम कर सकते हैं.’’ मोदी ने कहा, ‘‘कौन कल्पना कर सकता था कि इतनी जल्दी हम भारत में कोरोना टीके विकसित कर पाएंगे. नवाचार और निवेश किसी भी क्षेत्र की क्षमता को बढ़ाते हैं. आयुष क्षेत्र में भी निवेश बढ़ाने का समय आ गया है, और यह शिखर सम्मेलन है उसी की एक अद्भुत शुरुआत है.’’

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