सलेम मामले में भारत सरकार के दिए गए आश्वासन से न्यायपालिका स्वतंत्र: केंद्र

नयी दिल्ली. केंद्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि 2002 में गैंगस्टर अबू सलेम के प्रत्यर्पण के दौरान पुर्तगाल सरकार को दिए गए आश्वासन से न्यायपालिका स्वतंत्र है और यह कार्यपालिका पर निर्भर करता है कि वह उचित स्तर पर इस पर फैसला करे.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने गैंगस्टर अबू सलेम की एक याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें 1993 के मुंबई विस्फोट मामले में उसने अपनी उम्रकैद को चुनौती दी है. सलेम ने इस आधार पर चुनौती दी है कि उसकी सजा 25 साल से अधिक नहीं हो सकती क्योंकि सरकार उस आश्वासन से बंधी है जो पुर्तगाल सरकार को उसके प्रत्यर्पण के लिए दिया गया था.

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा, ‘‘सरकार तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी द्वारा पुर्तगाल सरकार को दिए गए आश्वासन से बंधी है और वह उचित समय पर इसका पालन करेगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्र की ओर से दिया गया यह आश्वासन न्यायपालिका पर थोपा नहीं जा सकता. कार्यपालिका उचित स्तर पर इस पर कार्रवाई करेगी. हम इस संबंध में आश्वासन से बंधे हैं. न्यायपालिका स्वतंत्र है, वह कानून के अनुसार आगे बढ़ सकती है.’’

पीठ ने नटराज से कहा कि सलेम का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ऋषि मल्होत्रा की दलील यह है कि अदालत को गंभीर आश्वासन पर फैसला करना चाहिए और उसकी सजा को उम्रकैद से घटाकर 25 साल करना चाहिए या सरकार को निर्देश देना चाहिए कि वह प्रत्यर्पण के दौरान दिए गए गंभीर आश्वासन पर फैसला करे.

शीर्ष अदालत ने कहा कि दूसरा मुद्दा एक समायोजित अवधि को लेकर है क्योंकि दलील यह है कि उसे यहां की अदालत के आदेश पर जारी ‘रेड कॉर्नर नोटिस’ के बाद पुर्तगाल में गिरफ्तार किया गया था और वह भारत के लिए प्रत्यर्पण तक हिरासत में रहा. नटराज ने कहा कि सलेम फर्जी पासपोर्ट से जुड़े एक अलग मामले में हिरासत में रहा था.

विशेष टाडा अदालत ने 25 फरवरी, 2015 को 1995 में मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन की उनके ड्राइवर मेहंदी हसन के साथ हत्या के एक अन्य मामले में सलेम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. वर्ष 1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी सलेम को लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 11 नवंबर, 2005 को पुर्तगाल से भारत प्रर्त्यिपत किया गया था. जून 2017 में, सलेम को दोषी ठहराया गया और बाद में मुंबई में 1993 के श्रृंखलाबद्ध विस्फोट मामले में उसकी भूमिका के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

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