मोदी सरकार ने ऐसे हालात पैदा किए कि राजीव गांधी का हत्यारा रिहा हो गया: कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी ए.जी. पेरारिवलन को रिहा करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार देते हुए बुधवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने ऐसे हालात पैदा किए कि अदालत को यह निर्णय देना पड़ा. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि आतंकवाद को लेकर सरकार का यह रवैया ंिनदनीय है.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है. इससे करोड़ों भारतीय नागरिकों की भावना आहत हुई है, क्योंकि न्यायालय ने राजीव गांधी जी के एक हत्यारे को रिहा कर दिया है. तथ्य बड़े स्पष्ट हैं और जिम्मेदार मोदी सरकार है.’’ उनके अनुसार, ‘‘नौ सितंबर, 2018 को तमिलनाडु की तत्कालीन अन्नाद्रमुक-भाजपा सरकार ने उस समय के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को सिफारिश भेजी कि राजीव गांधी जी की हत्या के सभी सात दोषियों को रिहा कर दिया जाए. राज्यपाल ने कोई निर्णय नहीं लिया.

उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए मामला राष्ट्रपति को भेज दिया. राष्ट्रपति ने भी ने कोई निर्णय नहीं लिया.’’ सुरजेवाला ने दावा किया कि इस विलंब और भाजपा सरकार द्वारा नियुक्त राज्यपाल द्वारा निर्णय नहीं लिए जाने के कारण एक हत्यारे को रिहा कर दिया. अब सभी दोषी रिहा हो जाएंगे.

उन्होंने सवाल किया, ‘‘मोदी जी, क्या आपका यही राष्ट्रवाद है? क्या आपका तौर-तरीका है कि कोई निर्णय ही नहीं लो और उस आधार पर अदालत राजीव गांधी जी के हत्यारे को रिहा कर दे?’’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘जिस आधार पर निर्णय हुआ है उस आधार पर तो हजारों तमिल कैदियों को छोड़ दिया जाना चाहिए और देश में आजीवन कारावास के लाखों कैदी हैं, उनको भी छोड़ दिया जाना चाहिए.’’

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘यह कांग्रेस के एक नेता का सवाल नहीं है, बल्कि राजीव गांधी जी हमारे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने देश के लिए कुर्बानी दी. सरकार का रुख ंिनदनीय है और इसकी हम कड़े शब्दों में ंिनदा करते हैं. देश के लोग देख लें कि इस सरकार का आतंकवाद को लेकर रवैया क्या है.’’ गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड मामले में दोषी ए.जी. पेरारिवलन को रिहा करने का बुधवार को आदेश दिया, जो उम्रकैद की सजा के तहत 30 साल से अधिक समय से जेल में बंद है. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया.

पेरारिवलन की रिहाई को लेकर परिजनों की खुशी सातवें आसमान पर, मुख्यमंत्री ने की फैसले की सराहना

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के जुर्म में उम्र कैद की सजा काट रहे ए. जी. पेरारीवलन ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा अपनी रिहाई का आदेश दिए जाने के बाद कहा “मेरा दृढ़ विश्वास है कि मृत्युदंड की कोई आवश्यकता नहीं है.” गौरतलब है कि पेरारिवलन को पहले चेन्नई की एक विशेष अदालत द्वारा मौत की सजÞा सुनाई गई थी, जिसे बाद में आजीवन कारावास में बदल दिया गया था. पेरारिवलन ने कहा कि वह अपने भविष्य के बारे में सोचने से पहले ‘‘आजादी की हवा में’’ सांस लेना चाहता है.

पत्रकारों ने पूछा कि एक “आजाद पंछी” के रूप में कैसा लग रहा है, और भविष्य की योजनाएं क्या हैं? इस पर पेरारिवलन ने कहा “मैं अभी बाहर आया हूं. कानूनी लड़ाई को 31 साल हो गए हैं. मुझे थोड़ी सांस लेनी है. मुझे कुछ समय दें.” उसने कहा ”मैं स्पष्ट रूप से मानता हूं कि मृत्युदंड की कोई आवश्यकता नहीं है. केवल दया के लिए नहीं, बल्कि उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीशों सहित कई न्यायाधीशों ने ऐसा कहा है और कई उदाहरण भी हैं. हर कोई इंसान है.” पेरारिवलन की मां अर्पुथम्माल ने भावुक हो कर, अपने बेटे की 31 साल की लड़ाई को याद करते हुए कहा “कई अनजान लोगों ने हमारा समर्थन किया है. मैं बहुत से लोगों को नहीं जानती. मैं उन सभी को धन्यवाद देती हूं.” पेरारिवलन ने बाद में अपनी रिहाई का जश्न मनाने के एक स्पष्ट संकेत में एक प्राचीन तमिल ताल वाद्य यंत्र ‘पराई’ बजाया.

उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा कि इसे “न्याय-कानून-राजनीतिक-प्रशासनिक इतिहास” में जगह मिल सकती है. पेरारीवलन को रिहा करने के लिए शीर्ष अदालत द्वारा फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद, रिश्तेदार यहां स्थित उनके आवास पर पहुंचने लगे थे. पेरारिवलन ने इस दौरान अपनी मां अर्पुथम्माल को मिठाई खिलाई. उसने अपनी मां और बहन को गले लगाया और अपनी खुशी का इजहार किया. उसके पिता कुइलदासन ने अपने बेटे की 30 साल की कैद समाप्त होने पर खुशी व्यक्त की.

पत्रकारों द्वारा उनके बेटे की शादी सहित भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर पिता ने कहा कि परिवार इस पर चर्चा करेगा.
तमिल समर्थक संगठनों के कार्यकर्ता उच्च्तम न्यायालय के फैसले पर खुशी जताते हुए राज्य के कई हिस्सों में सड़कों पर उतर आए. उन्होंने नारे लगाए और मामले में केंद्र की कथित शालीनता के अलावा पेरारीवलन और छह अन्य को रिहा करने की 2018 की कैबिनेट की सिफारिश पर राज्य के राज्यपाल की कथित निष्क्रियता की ंिनदा की.

उक्त मामले में उम्रकैद की सजÞा पाने वाले अन्य लोगों में मुरुगन, संथन, जयकुमार, रॉबर्ट पायस, जयचंद्रन और नलिनी शामिल हैं.
मारुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) के संस्थापक वाइको और पाट्टाली मक्कल कॉची (पीएमके) नेता एस रामदास सहित अन्य कई नेताओं ने पेरारीवलन की रिहाई का स्वागत किया. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने कहा कि पार्टी उच्च न्यायालय के फैसले को “स्वीकार” करती है.

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