काबुल के गुरुद्वारे में रह रहे 150 से अधिक लोग भारत लौटने की बाट जोह रहे

नयी दिल्ली. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से राजधानी काबुल के एक गुरुद्वारे में रह रहे 150 से अधिक सिख भारत आने के लिए वीजा पाने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. यह वही गुरुद्वारा है जहां शनिवार को आतंकवादियों ने हमला किया था.
गुरुद्वारे के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी. गुरुद्वारा करता-ए-परवान के अध्यक्ष गुरुनाम सिंह ने काबुल से टेलीफोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत के दौरान भारत सरकार से अपील की कि हिंदुओं और सिखों को सुरक्षित निकालने के अभियान में तेजी लायी जाए.

सरकारी सूत्रों ने रविवार को बताया था कि भारत ने 18 जून को काबुल के एक गुरुद्वारे पर हुए आतंकवादी हमले के बाद अफगानिस्तान में रह रहे सौ से अधिक हिंदुओ और सिखों को ‘‘प्राथमिकता के आधार पर’’ ई-वीजा जारी किए हैं. गुरुनाम सिंह ने कहा ,‘‘तालिबान के लौटने के बाद से 150 से अधिक सिख भारत आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. उनके पास वैध भारतीय वीजा भी थे लेकिन उन्हें रद्द कर दिया गया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ वे काबुल में अपनी दुकानें बेचने और पूरी तरह से वहां से निकलने के लिए तैयार हैं. वे रातों को सो नहीं पा रहे हैं और दिन गिन रहे हैं.’’ सिंह ने कहा कि अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने रविवार को उनसे मुलाकत की थी और क्षतिग्रस्त गुरुद्वारे की मरम्मत में मदद का आश्वासन दिया था.

उन्होंने कहा,‘‘ लेकिन अब वक्त आ गया है कि (भारत) सरकार तेजी लाए. भारत सरकार ने जो बचाव अभियान शुरू किया था वह अभी समाप्त नहीं हुआ है. अभी भी बहुत से लोग हैं जो भारत आना चाहते हैं और कई माह से वीजा का इंतजार कर रहे हैं.’’ सौ से अधिक वीजा जारी करने के सरकार के कदम के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘ अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. हम सरकार से बचाव अभियान में तेजी लाने, उड़ाने भेजने और ऐसे तरीके तलाशने की अपील करते हैं जिससे इन लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित नहीं हो.’’ उन्होंने भारत सरकार से ऐसी योजना तैयार करने की भी अपील की जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि अफगानिस्तान में मंदिर और गुरुद्वारे सुरक्षित रहेंगे और उन्हें ‘‘क्षतिग्रस्त’’ नहीं किया जाएगा.

पिछले वर्ष अगस्त में अशरफ गनी सरकार के पतन और देश पर तालिबान के कब्जे के बाद से कम से कम 150 लोग इस गुरुद्वारे में रह रहे हैं. आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ने गुरुद्वारे पर हमले की जिम्मेदारी ली है. ‘इंडिया वर्ल्ड फोरम’ के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंडोक ने कहा कि वह गनी सरकार के पतन के बाद से वहां रहने वाले 150 से अधिक सिखों को वीजा देने की अपील सरकार से करते आ रहे हैं. चंडोक अफगानिस्तान से सिखों को निकालने में भारत सरकार के साथ समन्वय कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘संिवदर सिंह ने हमले में अपनी जान गंवा दी, वह गुरुद्वारों में रहने वाले समुदाय के लोगों में से एक थे और भारत आना चाहते थे. वह उन 109 लोगों में से थे जिनके वीजा को मंजूरी मिली है, लेकिन यह काफी देर से हुआ. मैं सरकार को लिखता रहा हूं और अगर हमने तेजी से कदम उठाए होते तो हम उसे बचा सकते थे.’’

अफगानिस्तान में गुरुद्वारे पर हुए हमले में मारे गए संिवदर ंिसह पर चलाई गई थी कई गोलियां: परिवार

अफगानिस्तान में एक गुरुद्वारे पर हुए आतंकवादी हमले में मारे गए संिवदर ंिसह के परिवार के एक सदस्य ने दिल्ली में बताया कि जिस वक्त उन पर हमला किया गया, वह स्रान कर रहे थे और उन पर कई गोलियां चलाई गईं. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में शनिवार को गुरुद्वारा करते परवान में कई विस्फोट हुए, जिनमें एक सिख सहित दो लोगों की मौत हो गई थी. वहीं, अफगानिस्तान के सुरक्षार्किमयों ने विस्फोटक भरे एक वाहन को गुरुद्वारे में प्रवेश करने से रोककर एक बड़ी घटना को टाल दिया.

इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली है और इसे पैगंबर मोहम्मद के ‘‘समर्थन में किया हमला’’ बताया है. नयी दिल्ली में संिवदर ंिसह का परिवार उनके निधन की खबर सुन कर स्तब्ध रह गया. ंिसह की पत्नी के भाई पुपेंद्र ंिसह (36) ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया उनकी बहन की रो-रोकर तबियत खराब हो गई है. संिवदर ंिसह सेवा करने के लिए गुरुद्वारा करते परवान गए थे और उसके परिसर में बने एक कमरे में ही ठहरे थे.

उन्होंने कहा, ‘‘ काबुल में रहने वाले मेरे छोटे भाई का कल फोन आया और उन्होंने गुरुद्वारे पर हुए हमले की जानकारी दी. वह टैक्सी में अपने दोस्तों के साथ जलालाबाद जा रहे थे, लेकिन हमले के बारे में पता चलते ही वे काबुल निकल गए.’’ काबुल में जन्मे पुपेंदर ने बताया कि वह अफगानिस्तान के एक सिख परिवार से हैं और संिवदर ंिसह तथा परिवार के कई अन्य सदस्य का जन्म अफगानिस्तान में हुआ और वहीं पले-बढ़े.

उन्होंने कहा, ‘‘ जब मेरा भाई काबुल पहुंचा, तब तक तालिबानी बल भी वहां पहुंच चुका था. गुरुद्वारे में कई विस्फोट हुए थे. मेरे भाई ने संिवदर का शव देखा और मुझे फोन करके बताया कि ‘‘वह शहीद हो गए हैं’’. हमारे पास उनके शव की तस्वीरें और वीडियो हैं. उनके सीने पर दो जगह गोली लगने के निशान हैं. उन्हें कई गोलियां मारी गईं, मेरे भाई ने मुझे बताया कि वह गुसलखाने में नहा रहे थे, जब उन पर गोलियां चलाई गईं. दरवाजा टूटा हुआ था.’’ पुपेंद्र ने बताया कि यह कहर उनके परिवार पर दूसरी बार बरपा है. 2018 में जलालाबाद में हुए एक आत्मघाती हमले में उनके मामा मारे गए थे. पुपेंद्र 2010 में दिल्ली आ गए थे.

उन्होंने बताया कि अगस्त 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान को अपने नियंत्रण में लेने के बाद उनका परिवार चाहता था कि संिवदर ंिसह भी भारत आ जाएं, लेकिन वीजा ना मिलने के कारण वह यहां नहीं आ पाए. इस बीच, गुरुद्वारे पर हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने अफगानिस्तान में रह रहे 100 से अधिक सिखों और ंिहदुओं को ई-वीजा दिया है. सरकारी सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी थी. सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय ने इन लोगों को इलेक्ट्रॉनिक वीजा ‘‘प्राथमिकता के आधार पर’’ दिया है.

आतंकवादी समूह की वेबसाइट ‘अमाक’ पर पोस्ट किए गए बयान में इस्लामिक स्टेट से संबंद्ध इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रोंिवस (आईएसकेपी) ने कहा कि शनिवार को किया गया हमला ंिहदुओं, सिखों और उन धर्मभ्रष्ट लोगों के खिलाफ है जिन्होंने अल्लाह के दूत का अपमान करने में साथ दिया. इससे कुछ दिन पहले ही उसने एक वीडियो जारी करते हुए भारतीय जनता पार्टी के दो पूर्व पदाधिकारियों की पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ की गई टिप्पणी का बदला लेने के लिए ंिहदुओं के खिलाफ हमले करने की चेतावनी दी थी.

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