पाकिस्तान : इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा नहीं, संसद सत्र रविवार तक स्थगित

इस्लामाबाद. पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ संयुक्त विपक्ष द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के लिए संसद के निचले सदन की बैठक बृहस्पतिवार को हुई. हालांकि, विपक्षी सदस्यों द्वारा प्रस्ताव पर तत्काल मतदान कराने की मांग उठाने पर सत्र की कार्यवाही बिना बहस के रविवार तक के लिए स्थगित कर दी गई. इमरान सरकार दो प्रमुख सहयोगियों के सत्तारूढ़ गठबंधन से अलग होने के बाद बहुमत खो चुकी है.

संसद भवन में जैसे ही नेशनल असेंबली का सत्र शुरू हुआ, डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने सवाल आमंत्रित किए. हालांकि, विपक्षी सांसदों ने ‘गो इमरान गो’ के नारों के बीच अविश्वास प्रस्ताव पर तत्काल मतदान कराने की मांग की. सूरी ने विपक्ष के रवैये को ‘गैर-जिम्मेदाराना’ करार दिया और सत्र रविवार सुबह 11.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया, जब अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होने की उम्मीद है. उन्होंने यह भी घोषणा की कि संसदीय समिति की बैठक कमेटी कक्ष-2 में होगी.

इससे पहले, पाक प्रधानमंत्री के विशेष सहायक बाबर अवान ने सत्र स्थगित करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था, ताकि नेशनल असेंबली हॉल का इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा की संसदीय समिति की बैठक के लिए किया जा सके. मतदान के बाद प्रस्ताव खारिज कर दिया गया.

नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने 28 मार्च को पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद ए-95 के तहत अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था और इस पर 161 सदस्यों ने दस्तखत कर रखे हैं. इमरान ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री आवास पर राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की एक बैठक की अध्यक्षता भी की, जो सुरक्षा से जुड़े मामलों में समन्वय के लिए सर्वोच्च मंच है.

यह बैठक इमरान द्वारा एक पत्र की सामग्री साझा करने के एक दिन बाद हुई है, जिसमें उनकी विदेश नीति से नाखुश होने के चलते उनकी सरकार को हटाने के लिए कथित तौर पर विदेशी साजिश रचे जाने का दावा किया गया है. इमरान सरकार के दो अहम सहयोगियों-मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) और बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी) के विपक्षी मोर्चे में शामिल होने के बाद से विपक्ष की स्थिति और मजबूत हो गई है.

हालांकि, इमरान पर इस्तीफे के बढ़ते दबाव के बीच उनके मंत्रियों का कहना है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ‘आखिरी ओवर की आखिरी गेंद’ तक लड़ाई जारी रखेंगे. इमरान को उनकी सरकार गिराने की विपक्ष की कोशिशों को नाकाम करने के लिए 342 सदस्यीय निचले सदन में 172 वोट की जरूरत है. हालांकि, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने दावा किया है कि विपक्ष के पास 175 सांसदों का समर्थन है और प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए.

पाकिस्तान में कोई भी प्रधानमंत्री अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. साथ ही पाकिस्तान के इतिहास में कोई भी प्रधानमंत्री अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से अपदस्थ नहीं हुआ है और इमरान इस चुनौती का सामना करने वाले तीसरे प्रधानमंत्री हैं.
मंगलवार को इमरान ने अपनी पार्टी के सांसदों को उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दिन नेशनल असेंबली के सत्र में हिस्सा न लेने की सख्त हिदायत दी थी.

इमरान 2018 में ‘नया पाकिस्तान’ बनाने के वादे के साथ सत्ता में आए थे, लेकिन वह जरूरी वस्तुओं की बढ़ती कीमतों जैसी बुनियादी समस्या को दूर करने में नाकाम साबित हुए जिससे विपक्ष को उन पर हावी होने का मौका मिल गया.

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