श्रीलंका में हिंसा को लेकर पुलिस ने सत्ताधारी दल के और सांसदों से पूछताछ की
हिंसा के दौरान देखते ही गोली मारने का आदेश नहीं दिया गया था : श्रीलंका के प्रधानमंत्री
कोलंबो. देश में सरकार विरोधी और सरकार समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों को लेकर श्रीलंकाई पुलिस ने बृहस्पतिवार को सत्तारूढ़ एसएलपीपी संसदीय समूह के तीन और सदस्यों से पूछताछ की. इन झड़पों में कम से कम 10 लोगों की जान गई थी जबकि 200 से अधिक घायल हो गए.
श्रीलंका में बेहद खराब आर्थिक हालात के मद्देनजर महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री पद से हटाने की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर नौ मई को उनके समर्थकों द्वारा हमला किया गया जिसके बाद देश में हिंसा भड़क गई. पुलिस प्रवक्ता निहाल थलडुवा ने कहा कि पुलिस के सीआईडी जांचकर्ताओं के एक समूह ने आज संसद में तीन पूर्व मंत्रियों से पूछताछ की. उनके दो साथी जिन्हें पहले गिरफ्तार किया गया था, उन्हें 25 मई तक के लिए हिरासत में लिया गया है.
थलडुवा ने कहा कि 1,059 लोगों को प्रदर्शनकारियों पर हमलों और सत्ताधारी सांसदों के खिलाफ हिंसा के लिए गिरफ्तार किया गया है. झड़प के दौरान करीब 78 सांसदों की संपत्ति में तोड़फोड़ व आगजनी की घटनाएं हुई थीं. थलडुवा ने बताया कि हिंसा के दौरान गंभीर रूप से घायल एक व्यक्ति की बृहस्पतिवार को अस्पताल में मौत हो जाने से मृतक संख्या बढ़कर 10 हो गई है.
राजनेताओं पर समर्थकों को प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के लिए उकसाने का लगाया गया है. उनमें से कम से कम दो, एक पूर्व राज्य मंत्री और एक अन्य सांसद, जिनकी वीडियो फुटेज में हिंसा भड़काने वालों के रूप में पहचान की गई थी, को गिरफ्तार किया गया और उन्हें हिरासत में लिया गया. सरकारी सांसदों ने पुलिस की निष्क्रियता को अपनी निजी संपत्तियों में आगजनी का कारण बताया.
उन्होंने विपक्षी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया, जिसका मार्क्सवादी पार्टी ने खंडन किया.
हिंसा के दौरान देखते ही गोली मारने का आदेश नहीं दिया गया था : श्रीलंका के प्रधानमंत्री
श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमंिसघे ने बृहस्पतिवार को संसद को बताया कि सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने का कोई आदेश रक्षा मंत्रालय को नहीं दिया गया था. श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने देश में चल रहे आर्थिक और राजनीतिक संकट को लेकर हिंसक विरोध के बीच थल सेना, वायु सेना और नौसेना के र्किमयों को सार्वजनिक संपत्ति लूटने या दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति पर गोली चलाने का 10 मई को आदेश दिया.
यह आदेश तब दिया गया, जब भीड़ ने राजपक्षे परिवार और उनके करीबी लोगों की संपत्ति पर हमला किया. पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के करीबी लोगों की संपत्ति पर हमला उनके समर्थकों द्वारा कोलंबो में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के बाद किया गया.
कोलंबो ‘गजट न्यूज पोर्टल’ के मुताबिक विक्रमंिसघे ने कहा कि लिखित में ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया. प्रधानमंत्री ने कहा कि पुलिस अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर सकती है और जरूरत पड़ने पर गोली भी चला सकती है. लेकिन इसके लिए प्रक्रियाओं का पालन करना होता है. उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह संसद के कुछ सदस्यों की संपत्ति पर हमला जरूर हुआ था, लेकिन देखते ही गोली मारने का आदेश जारी नहीं किया गया था.
हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि आगे हिंसा को रोकने के लिए देखते ही गोली मारने के आदेश दिया गया.
गॉल फेस में, जहां राष्ट्रपति सचिवालय स्थित है, शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर हमले से हिंसा फैलने के बाद कोलंबो और देश के अन्य हिस्सों में पुलिस और सेना को तैनात किया गया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के समर्थकों द्वारा यहां सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के बाद हुई हिंसा में आठ से अधिक लोग मारे गए थे. कोलंबो और देश के अन्य हिस्सों में हुई हिंसा में 250 से अधिक लोग घायल हुए.