अभी सुधार बुरे लग सकते हैं, लेकिन समय आने पर फायदा मिलेगा : मोदी

बेंगलुरु. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि फैसले और सुधार अस्थायी रूप से अप्रिय हो सकते हैं लेकिन समय के साथ देश को उनका लाभ महसूस होगा. उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का भारत धन, नौकरी देने वालों और नवोन्मेषियों का है जो देश की असली ताकत हैं. उन्होंने कहा कि सरकार उन्हें पिछले आठ साल से प्रोत्साहित कर रही है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “स्टार्टअप और नवोन्मेष का रास्ता आसान नहीं है, तथा पिछले आठ वर्षों से देश को इस रास्ते पर आगे ले जाना भी आसान नहीं था. कई फैसले और सुधार अस्थायी रूप से अप्रिय हो सकते हैं, लेकिन समय के साथ देश को उनके लाभों का अनुभव होगा.’’ प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी सेनाओं में भर्ती के लिए केंद्र द्वारा घोषित नयी योजना ‘अग्निपथ’ के खिलाफ व्यापक प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में आई है.

उन्होंने विभिन्न विकास कार्यों का उद्घाटन या शिलान्यास करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “सुधारों का मार्ग ही हमें नए लक्ष्यों और नए संकल्प की ओर ले जा सकता है… हमने अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र को खोल दिया है जो दशकों तक सरकारी नियंत्रण में थे.” मोदी ने कहा कि बेंगलुरू ने दिखाया है कि अगर सरकार सुविधाएं दे और नागरिकों के जीवन में कम हस्तक्षेप करे तो भारतीय युवा क्या कुछ हासिल कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि बेंगलुरु भारत के युवाओं और उद्यमिता के लिए सपनों का नगर है तथा नवाचार और सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों का सही उपयोग इसके मुख्य कारण हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा, “बेंगलुरु उन लोगों को अपनी मानसिकता बदलना सिखाता है जो आज भी भारत के निजी क्षेत्र और निजी उद्यम को नीचा दिखाने का प्रयास करते हैं….’’ उन्होंने कहा कि “डबल इंजन” सरकार ने जो वादा किया था, उसे आज साकार होते देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि आज शुरू की गई परियोजनाएं जीवन की सुगमता और व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ावा देंगी.

मोदी ने कहा कि बेंगलुरू ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का सच्चा प्रतिंिबब है तथा शहर की प्रगति लाखों लोगों के सपनों से जुड़ी है. उन्होंने कहा कि ‘डबल इंजन’ सरकार शहर के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि बेंगलुरु के लिए उपनगरीय रेलवे परियोजना के कार्यान्वयन में 40 वर्ष की देरी हुई और यदि वे समय पर पूरे हो जाते तो शहर के बुनियादी ढांचे पर इतना दबाव नहीं पड़ता. उन्होंने कहा, “मैं समय बर्बाद नहीं करना चाहता और एक एक मिनट काम करूंगा…”

प्रधानमंत्री ने आंबेडकर स्कूल आॅफ इकनॉमिक्स के नए परिसर का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को यहां डॉ. बी. आर. आंबेडकर स्कूल आॅफ इकनॉमिक्स (बेस) विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन करने के साथ ही भारतीय संविधान निर्माता की एक प्रतिमा का अनावरण किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम में 150 ‘प्रौद्योगिकी हब’ भी सर्मिपत किया, जिन्हें कर्नाटक में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में व्यापक बदलाव लाकर विकसित किया गया है.

इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी, अनुसंधान और नवाचार की दुनिया में भारत की प्रगति में कर्नाटक का खास योगदान है. उन्होंने कहा, “इस संदर्भ में, आईटीआई को बदलकर विकसित किए गए नए प्रौद्योगिकी हब युवाओं के लिए कौशल के अवसर मुहैया कराएंगे और रोजगार के अवसर पैदा करेंगे.” ये ‘प्रौद्योगिकी हब’ 4,700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किए गए हैं और इसे कई औद्योगिक भागीदारों का समर्थन प्राप्त है. इसका उद्देश्य उद्योगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए कुशल कार्यबल तैयार करना है.

राज्य सरकार ने कुल लागत में से 657 करोड़ रुपये जबकि टाटा टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (टीटीएल) और उसके उद्योग साझेदारों ने 4,080 करोड़ रुपये का योगदान दिया है. राज्य ने इन 150 आईटीआई में विशेष कार्यशालाएं और प्रौद्योगिकी प्रयोगशालाएं तैयार करने के लिए अतिरिक्त 220 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. इस मौके पर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, केंद्रीय मंत्री प्र‘‘ाद जोशी और राज्य मंत्रिमंडल के कई सदस्य उपस्थित थे.

आवासीय बेस विश्वविद्यालय की स्थापना 2017 में की गई थी. इसकी स्थापना स्वतंत्र भारत के विकास में आंबेडकर के अनुकरणीय योगदान की याद में और उनकी 125 वीं जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में की गई थी. मोदी ने कहा कि बेस विश्वविद्यालय डॉ आंबेडकर के बौद्धिक कौशल को श्रद्धांजलि है. उन्होंने कहा, “इस संस्थान के नए परिसर से कई छात्रों को लाभ होगा. जिन नए प्रोद्योगिकी हब का उद्घाटन किया गया है, वे हमारी युवा शक्ति के लिए वरदान होंगे.’’

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