युद्ध अपराध के आरोपी रूसी सैनिक के खिलाफ यूक्रेन में मुकदमा

कीव. यूक्रेन के एक नागरिक की हत्या के आरोपी रूसी सैनिक के खिलाफ शुक्रवार को यहां मुकदमा शुरू हुआ, जो मॉस्को के अपने पड़ोसी देश पर आक्रमण के बाद से युद्ध अपराध से संबंधित पहला मुकदमा है. यूक्रेन की राजधानी में एक छोटे से अदालत कक्ष के अंदर बड़ी संख्या में पत्रकार मौजूद थे जहां मुकदमे की शुरुआत के लिए संदिग्ध एक छोटे से कांच के कक्ष में दिखाई दिया. इस मामले ने रूसी बलों द्वारा बार-बार अत्याचार के आरोपों के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आर्किषत किया.

सार्जेंट वादिम शिशिमारिन (21) पर उत्तरपूर्वी गांव चुपखिवका में 62 वर्षीय व्यक्ति के सिर में गोली मारने का आरोप है. युद्ध के कानूनों और नियमों से संबंधित यूक्रेनी आपराधिक संहिता की धारा में र्विणत दंड के तहत उसे आजीवन कारावास तक की सजा का सामना करना पड़ सकता है. यह हत्या युद्ध के शुरुआती दिनों में हुई थी जब कीव पर हमले के लिए आए रूसी टैंक अप्रत्याशित रूप से वहां से चले गए थे और टैंक चालक दल पीछे रह गया था.

यूक्रेनी बलों ने टैंक चालक दल के सदस्य शिशिमारिन को पकड़ लिया था. यूक्रेनी सुरक्षा बलों द्वारा जारी वीडियो में उसने एक नागरिक की हत्या करने की बात स्वीकार की है. शिशिमारिन ने 28 मई को की गई हत्या पर कहा, ‘‘मुझे गोली मारने के आदेश थे. मैंने उसे एक (गोली) मारी. वह गिर गया.’’ यूक्रेन की सुरक्षा सेवा के मुताबिक शिशिमारिन का वीडियो बयान ‘‘दुश्मन हमलावर का अपनी तरह का पहला कबूलनामा है.’’ यूक्रेन के पूर्वी हिस्से पर कब्जे के रूसी अभियान के बीच यह मुकदमा चलाया जा रहा है. रूसी हमले के युद्धक्षेत्र के अलावा भी कई जगह व्यापक प्रभाव देखने को मिले हैं.

यूक्रेन पर रूसी हमले के ढाई महीने बाद अब मॉस्को के अन्य पड़ोसियों में भी ऐसे हमलों को लेकर आशंका है. फिनलैंड के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने बृहस्पतिवार को घोषणा कि कि नॉर्डिक राष्ट्र को नाटो की सदस्यता के लिये आवेदन करना चाहिए. नाटो का गठन सोवियत संघ से मुकाबला करने के लिये सैन्य रक्षा समझौते के तौर पर हुआ था.

फिनलैंड के राष्ट्रपति सौली नीनिस्टो ने इस सप्ताह कहा था, ‘‘आपकी (रूस) वजह से यह हुआ है. अपने आप को शीशे में देखो.’’ इस घोषणा का मतलब है कि फिनलैंड ने नाटो की सदस्यता लेने का अब पूरी तरह मन बना लिया है, लेकिन आवेदन प्रक्रिया शुरू होने से पहले कुछ कार्रवाई अभी बाकी हैं. पड़ोसी देश स्वीडन भी आने वाले दिनों में नाटो में शामिल होने पर विचार कर रहा है.

इससे यूरोप के सुरक्षा परिदृश्य में व्यापक बदलाव आएगा : स्वीडन 200 सालों तक किसी भी सैन्य गठजोड़ से बचता रहा है जबकि द्वितीय विश्वयुद्ध में सोवियत के हाथों पराजित होने के बाद फिनलैंड ने तटस्थ रुख अपना रखा था. क्रेमलिन ने चेतावनी दी कि वह प्रतिरोधात्मक ‘‘सैन्य-तकनीकी’’ कदम उठा सकता है. यूक्रेन पर हमले के बाद दोनों देशों में जनमत नाटकीय रूप से नाटो के पक्ष में आया है. हमले के बाद रूस से सटे देशों में यह आशंका है कि अगला देश कौन सा हो सकता है.

इस तरह के विस्तार से रूस बाल्टिक सागर और आर्कटिक में नाटो देशों से घिर जाएगा, जो पुतिन के लिए एक झटका होगा, जिन्हें नाटो के विभाजित होने और यूरोप से नाटो की वापसी की उम्मीद थी लेकिन स्थिति इसके विपरीत बन रही है. नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि गठबंधन खुली बाहों से फिनलैंड और स्वीडन का स्वागत करेगा.

यूक्रेन को नाटो द्वारा हथियारों की आपूर्ति और अन्य सैन्य समर्थन आक्रमण को रोकने की कीव की आश्चर्यजनक क्षमता के लिए महत्वपूर्ण रहा है. क्रेमलिन ने नए सिरे से चेतावनी दी कि यूक्रेन को सहायता नाटो और रूस के बीच सीधे संघर्ष का कारण बन सकती है. रूस की सुरक्षा परिषद के उप प्रमुख दिमित्री मेदवेदेव ने कहा, ‘‘इस तरह के संघर्ष के पूर्ण पैमाने पर परमाणु युद्ध में बदलने का जोखिम हमेशा होता है, एक ऐसा परिदृश्य जो सभी के लिए विनाशकारी होगा.”

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