बागियों के लौटने, उद्धव से बात करने पर शिवसेना एमवीए से अलग होने पर विचार को तैयार : राउत

मुंबई. पार्टी के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे की बवागत से जूझ रही शिवसेना ने बृहस्पतिवार को अपने रुख में बड़े बदलाव का संकेत देते हुए कहा कि असम में डेरा डाले हुए बागी विधायक 24 घंटे के भीतर मुंबई लौटते हैं और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ अपनी शिकायतों पर चर्चा करते हैं पार्टी महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन को छोड़ने पर विचार करने के लिए तैयार है. पार्टी नेता संजय राउत ने यह जानकारी दी.

शिवसेना के रुख में इस बदलाव ने जहां कांग्रेस को चौंकाया है वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने कहा कि वह चाहती है कि गठबंधन सरकार अपना कार्यकाल पूरा करे. कांग्रेस और राकांपा एमवीए में गठबंधन सहयोगी हैं. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राउत ने बागियों से कहा कि बगावत करने वाले विधायकों के लिए पार्टी के ‘‘दरवाजे खुले हैं’’ और सभी मुद्दों को बातचीत से सुलझाया जा सकता है.

तीन दिन पहले शिवसेना के कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे के विद्रोह से एमवीए सरकार में उत्पन्न राजनीतिक संकट के बीच, पार्टी के तीन और विधायक बागी खेमे में शामिल होने के लिए भाजपा शासित असम में गुवाहाटी के लिए रवाना हो गए. ठाकरे द्वारा अपनी पार्टी के बागी विधायकों से भावनात्मक अपील और उन्हें शांत करने के लिए इस्तीफा देने की पेशकश करने के एक दिन बाद, उनके भरोसेमंद सहयोगी राउत ने संकेत दिया कि शिवसेना अपने नेतृत्व वाले एमवीए को छोड़ने पर विचार करने के लिए तैयार है. शिंदे ने पार्टी के राकांपा और कांग्रेस से गठजोड़ तोड़ने की मांग करते हुए एमवीए को ‘‘अप्राकृतिक’’ गठबंधन करार दिया है. शिंदे फिलहाल शिवसेना के 37 बागी विधायकों और नौ निर्दलीय विधायकों के साथ गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं.

राउत ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘आप कहते हैं कि आप असली शिवसैनिक हैं और पार्टी नहीं छोड़ेंगे. हम आपकी मांग पर विचार करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते आप 24 घंटे में मुंबई वापस आएं और सीएम उद्धव ठाकरे के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करें. आपकी मांग पर सकारात्मक रूप से विचार किया जाएगा. ट्विटर और व्हाट्सऐप पर चिट्ठी मत लिखिए.’’

उन्होंने कहा, ‘‘बागी, जो मुंबई से बाहर हैं, ने ंिहदुत्व का मुद्दा उठाया है. अगर इन सभी विधायकों को लगता है कि शिवसेना को एमवीए से बाहर निकलना चाहिए, तो मुंबई वापस आने की हिम्मत दिखाएं. आप कहते हैं कि आपको सिर्फ सरकार के साथ परेशानी है और यह भी कहते हैं कि आप सच्चे शिवसैनिक हैं…आपकी मांग पर विचार किया जाएगा, लेकिन आएं और उद्धव ठाकरे से बात करें.’’

राउत ने मराठी में किए ट्वीट में कहा, ‘क्यों बेवजह भटकना. दरवाजे खुले हैं और बातचीत के जरिए मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया जा सकता है. आइए गुलामी को स्वीकार करने के बजाय स्वाभिमान से निर्णय लें.’’ शिवसेना के एमवीए से अलग होने पर विचार करने संबंधी राउत की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ‘यू-टर्न’ लेंगे और सत्तारूढ़ एमवीए से बाहर होने की शिवसेना के बागी विधायकों की मांग पर सहमत होंगे.

राउत की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री चव्हाण ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘क्या शिवसेना महाराष्ट्र में भाजपा से हाथ मिलाना चाहती है? शिवसेना की मंशा अभी स्पष्ट नहीं है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उद्धव ठाकरे को उनके बुधवार शाम के सार्वजनिक संबोधन में इस तरह बोलते नहीं सुना है. मुझे आश्चर्य होगा अगर उद्धव ठाकरे 24 घंटे से भी कम समय में इस तरह पलट जाते हैं. मुझे नहीं लगता कि ठाकरे ऐसा करेंगे. यह भी स्पष्ट नहीं है कि राउत का बयान शिवसेना का आधिकारिक रुख दर्शाता है या नहीं.’’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘यह भी स्पष्ट नहीं है कि शिवसेना के किस धड़े को पार्टी का प्रामाणिक चेहरा माना जाना चाहिए.’’ इस बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि उनकी पार्टी ने अभी तक राउत की टिप्पणियों पर चर्चा नहीं की है. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हम चाहते हैं कि यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा करे, क्योंकि इसने कुछ अच्छे फैसले लिए हैं.’’ ठाकरे सरकार में मंत्री पद संभाल रहे पाटिल ने कहा, ‘‘शिवसेना छोड़ने वाले बाद में चुनाव हार जाते हैं.’’ शिवसेना के बागी विधायकों के इस रुख पर कि वे राकांपा और कांग्रेस के मंत्रियों के ‘भ्रष्टाचार’ के कारण एमवीए का हिस्सा नहीं बनना चाहते, पाटिल ने कहा कि अलग-अलग विधायकों के बयानों को शिवसेना का आधिकारिक रुख नहीं माना जाना चाहिए.

राकांपा के एक अन्य नेता, प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि पार्टी प्रमुख शरद पवार ने ‘‘एमवीए का गठन किया था और वह अब भी चाहते हैं कि यह बरकरार रहे.’’ शिंदे के एक करीबी सहयोगी ने बताया कि शिवसेना के तीन और विधायक दीपक केसकर (सावंतवाड़ी से विधायक), मंगेश कुडलकर (चेंबूर) और सदा सर्वंकर (दादर) ने मुंबई से गुवाहाटी के लिए सुबह की उड़ान भरी. बुधवार शाम को, महाराष्ट्र के मंत्री गुलाबराव पाटिल सहित चार विधायक गुवाहाटी के लिए रवाना हुए थे.

गुवाहाटी पहुंचने के बाद शिंदे ने कुछ निर्दलीय समेत 46 विधायकों के समर्थन का दावा किया था. बागी नेता ने महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष को एक पत्र दिया था, जिस पर शिवसेना के 35 विधायकों ने हस्ताक्षर किए थे, जिसमें सुनील प्रभु की जगह भरत गोगावले को शिवसेना विधायक दल का मुख्य सचेतक बनाया गया था.

उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल ने कहा कि उन्होंने बागी विधायक एकनाथ शिंदे की जगह अजय चौधरी को सदन में शिवसेना का विधायक दल का नेता नियुक्त किये जाने को मंजूरी दे दी है. शिवसेना ने पार्टी से विद्रोह करने और पार्टी के कुछ विधायकों के साथ गुजरात के सूरत चले जाने के कुछ घंटे बाद मंगलवार को शिंदे को विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया था. शिंदे के कदम से महाराष्ट्र की महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार पर खतरा मंडराने लगा.

जिरवाल ने बृहस्पतिवार को यहां पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ”मुझे शिवसेना की ओर से एक पत्र मिला है, जिसमें सूचित किया गया है कि उसने अजय चौधरी को विधानसभा में विधायक दल का नेता नियुक्त किया है और शिंदे को तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया है.” उन्होंने कहा, ‘‘मैंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा भेजा गया वह पत्र स्वीकार कर लिया है.’’ शिवसेना विधायक कैलास पाटिल, जो सोमवार रात बागी विधायकों सूरत ले जा रही एक कार से भाग निकले थे, ने मुंबई में दावा किया कि हो सकता है शिंदे का साथ देने वालों में से कुछ वापस लौटना चाह रहे होंगे, लेकिन उन्हें वापस रहने के लिए मजबूर किया गया.

शिवसेना के बागी विधायक संजय शिरसाट ने मुख्यमंत्री एवं पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर दावा किया कि शिवसेना विधायक ढाई साल से ‘अपमान’ का सामना कर रहे थे जिसके चलते मंत्री एकनाथ शिंदे ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ जाने का कदम उठाया.

औरंगाबाद (पश्चिम) से विधायक शिरसाट ने 22 जून को लिखे पत्र में दावा किया कि शिवसेना के सत्ता में होने और उसका अपना मुख्यमंत्री होने के बावजूद, ठाकरे के आसपास की मंडली ने उन्हें कभी भी ‘वर्षा’ तक पहुंचने नहीं दिया. ‘वर्षा’ मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास है.

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