यौन दासता की शिकार दक्षिण कोरियाई महिला ने संरा से इन्साफ की लगाई गुहार

सोल. जापान की युद्धकालीन सेना द्वारा अपहरण, दुष्कर्म और जबरन वेश्यावृत्ति का दंश झेलने वाली ली योंग-सू को अपनी कहानी सार्वजनिक करने के 30 साल बाद ऐसा लगने लगा है कि वह इन्साफ पाने की दौड़ में पिछड़ती जा रही हैं. 93 वर्षीय ली यौन दासता की शिकार रह चुकी दक्षिण कोरियाई महिलाओं का चेहरा हैं, जो 1990 के दशक की शुरुआत से ही मांग कर रही हैं कि जापान सरकार अपनी युद्धकालीन सेना के अपराध को स्वीकार करे और बिना शर्त माफी मांगे.

ली की ताजा और संभवत: आखिरी कोशिश दक्षिण कोरिया और जापान पर संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से फैसला लेने का दबाव बनाना है, ताकि उन्हें न्याय मिल सके. ली यौन दासता की शिकार महिलाओं और उनके हक की आवाज बुलंद करने वाले लोगों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह का नेतृत्व कर रही हैं, जिसने बीते हफ्ते संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के मानवाधिकार जांचकर्ताओं को एक अर्जी भेजी है कि वे सोल और तोक्यो पर मामले को संयुक्त रूप से अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) में ले जाने का दवाब बनाएं.

इस समूह में फिलीपींस, चीन, इंडोनेशिया, आॅस्ट्रेलिया और पूर्वी तिमोर की पीड़िताएं शामिल हैं. समूह चाहता है कि अगर तोक्यो मामले को आईसीजे में ले जाने के लिए सहमत नहीं होता है तो सोल एक संरा पैनल के साथ, जापानी सेना द्वारा दी गई यातना मामले में मध्यस्थता की कार्यवाही शुरू करे. हालांकि, फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि दक्षिण कोरिया, जहां मई में एक नई सरकार शपथ लेगी, ऐसे समय में इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में लाने पर विचार करेगा, जब उसे जापान सहित अन्य देशों के साथ संबंध सुधारने का दबाव झेलना पड़ रहा है.

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