स्वीडन ने तटस्थता छोड़ी, फिनलैंड की तरह नाटो की सदस्यता के लिए करेगा अनुरोध

स्टॉकहोम. स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन ने सोमवार को घोषणा की कि यूक्रेन पर रूस के हमले के मद्देनजर स्वीडन भी फिनलैंड की तरह उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की सदस्यता के लिए अनुरोध करेगा. यह ऐतिहासिक बदलाव, इस नॉर्डिक देश (स्वीडन) में 200 से अधिक वर्षों के सैन्य गुटनिरपेक्षता के बाद आया है. हालांकि, उसके इस कदम से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सरकार के विक्षुब्ध होने की आशंका जताई जा रही है.

फिनलैंड की सरकार ने रविवार को घोषणा की थी कि वह 30 देशों वाले सैन्य गठबंधन में शामिल होने के लिए अनुरोध करेगा.
स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन ने राजधानी में सांसदों को संबोधित करते हुए इसे ‘‘अपने देश की सुरक्षा नीति में एक ऐतिहासिक बदलाव’’ करार दिया. उन्होंने कहा, ‘‘हम नाटो को सूचित करेंगे कि हम गठबंधन का सदस्य बनना चाहते हैं. स्वीडन को औपचारिक सुरक्षा गारंटी की आवश्यकता है जो नाटो में सदस्यता के साथ आती है.’’ एंडरसन ने कहा कि स्वीडन, फिनलैंड के साथ मिलकर काम कर रहा है, जहां की सरकार ने रविवार को घोषणा की थी कि वह गठबंधन में शामिल होने का प्रयास करेगी.

यह घोषणा सोमवार को रिक्सडेगन या संसद में इस विषय पर चर्चा कराये जाने के बाद हुई, जिससे पता चला कि नाटो में शामिल होने के लिए स्वीडन की सरकार को बड़ा समर्थन प्राप्त है. स्वीडन की आठ पार्टियों में से केवल दो छोटी एवं वामपंथ की ओर झुकाव रखने वाली पार्टियों ने इस कदम विरोध किया.

रविवार को स्वीडिश सोशल डेमोक्रेट के सदस्यों ने पार्टी की लंबे समय से चले आ रहे इस रुख को बदल दिया कि स्वीडन को गुटनिरपेक्ष रहना चाहिए, जिससे संसद में नाटो सदस्यता के लिए स्पष्ट बहुमत का मार्ग प्रशस्त हुआ. दोनों नॉर्डिक देशों में जनता की राय 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण होने से पहले नाटो में शामिल होने के खिलाफ थी, लेकिन उसके बाद दोनों देशों में नाटो सदस्यता के लिए समर्थन तेजी से बढ़ा.

विदेश मंत्री एन ंिलडे ने ट्वीट किया, ‘‘स्वीडन की सरकार का इरादा नाटो सदस्यता के लिए आवेदन करना है. यह स्वीडन के लिए एक ऐतिहासिक दिन है. संसद में राजनीतिक दलों के व्यापक समर्थन के साथ, निष्कर्ष यह है कि स्वीडन नाटो में सहयोगियों के साथ मजबूती से खड़ा होगा.’’ किसी समय क्षेत्रीय सैन्य शक्ति रहा स्वीडन ने नेपोलियन के युद्धों की समाप्ति के बाद से सैन्य गठबंधनों से परहेज किया है. फÞनिलैंड की तरह यह पूरे शीत युद्ध के दौरान तटस्थ रहा, लेकिन 1991 के सोवियत संघ के विघटन के बाद नाटो के साथ इसके संबंध घनिष्ठ बन गए.

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद, फिनलैंड और स्वीडन की सरकारों ने नाटो सदस्यता के बारे में राजनीतिक दलों में तेजी से चर्चा शुरू करके और अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी तथा अन्य नाटो देशों के समर्थन के लिए उन तक पहुंच बनायी. रूस ने हालांकि, बार-बार चेतावनी दी है कि इस कदम से यूरोप में सुरक्षा को अस्थिर करने वाले परिणाम होंगे. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को कहा कि रूस को नाटो की सदस्यता के लिए आवेदन करने वाले स्वीडन या फÞनिलैंड से ‘‘कोई दिक्कत नहीं है’’ लेकिन देशों में किसी भी सैन्य विस्तार पर उसकी प्रतिक्रिया आएगी.

पुतिन ने फिनलैंड और स्वीडन पर बात करते हुए कहा कि रूस को ‘‘इन देशों से कोई दिक्कत नहीं है. इसलिए इस अर्थ में इन देशों को लेकर विस्तार से रूस को कोई सीधा खतरा नहीं है, लेकिन इस क्षेत्र में सैन्य बुनियादी ढांचे के विस्तार पर निश्चित रूप से हमारी ओर से प्रतिक्रिया आएगी.’’ पुतिन रूस के नेतृत्व वाले सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन के मास्को में एक शिखर सम्मेलन में बोल रहे थे, जिसमें पांच अन्य पूर्व सोवियत देश शामिल हैं.

अमेरिका के हेलंिसकी में, सीनेट रिपब्लिकन नेता मिच मैककोनेल ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस (अमेरिकी संसद) में “बहुत महत्वपूर्ण” समर्थन है और वह तेजी से अनुसमर्थन मिलने की उम्मीद करते हैं. एंडरसन ने कहा कि स्वीडन अपनी धरती पर परमाणु हथियारों की तैनाती या स्थायी नाटो ठिकाना बनाने से मना करेगा. इसी तरह की शर्तों पर पड़ोसी नॉर्वे और डेनमार्क ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद गठबंधन के गठन के समय जोर दिया था.

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