‘गोलपोस्ट’ को स्थानांतरित करने का मामला बन गया है 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य

नयी दिल्ली. भारतीय अर्थव्यवस्था के 2026-27 तक पांच हजार अरब डॉलर को पार करने के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के बयान पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने रविवार को कहा कि यह लक्ष्य की प्राप्ति के लिये ‘गोलपोस्ट’ को स्थानांतरित करने का मामला लगता है, क्योंकि शुरुआत में इसके लिए 2023-24 का लक्ष्य रखा गया था.

वित्त मंत्रालय के प्रतिष्ठित समारोह ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ को संबोधित करते हुये सीईए वी अनंत नागेश्वरन ने पिछले सप्ताह कहा था कि आईएमएफ ने भारतीय अर्थव्यवस्था के 2026-27 तक पांच हजार अरब डॉलर को पार करने का अनुमान लगाया है.
उन्होंने कहा कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पहले ही तीन हजार अरब डॉलर को पार कर चुका है.

नागेश्वरन की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुये चिदंबरम ने कहा, ‘‘पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने का लक्ष्य गोलपोस्ट को स्थानांतरित करने का मामला लगता है.’’ पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि पहले इसके लिये 2023-24 का लक्ष्य रखा गया था. उन्होंने कहा, ‘‘हमलोग गोलपोस्ट के आसपास कहीं नहीं है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा है कि हम इस लक्ष्य को 2027 तक प्राप्त कर लेंगे.’’ चिदंबरम ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इसके (लक्ष्य की प्राप्ति) लिये प्रत्येक प्रमुख व्यक्ति – प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, वित्त सचिव और मुख्य आर्थिक सलाहकार- के लिये अलग-अलग गोलपोस्ट है, ताकि जब इस लक्ष्य की प्राप्ति हो तो वे कह सकें कि हमने ऐसा कहा था .’’

राहुल को भेजा गया ईडी का समन ‘निराधार’ है: चिदंबरम

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने रविवार को कहा कि धन शोधन मामले में राहुल गांधी को भेजा गया प्रवर्तन निदेशालय का समन निराधार है और ऐसा प्रतीत होता है कि जांच एजेंसी का अधिकार क्षेत्र भाजपा नेताओं या पार्टी के द्वारा शासित राज्यों तक नहीं है. चिदंबरम ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये साक्षात्कार में कहा कि आगामी राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों के बीच एकता कायम करने के लिये हर संभव प्रयास किया जाना चाहिये और ऐसा किया जाएगा.

राहुल और सोनिया गांधी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समन और सोमवार को जांच एजेंसी के सामने पेश होने पर कांग्रेस के शक्ति प्रदर्शन के फैसले के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा, ”मैं एक कांग्रेस सदस्य और एक वकील के रूप में अपनी बात रखना चाहता हूं. श्री राहुल गांधी को पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत भेजा गया ईडी का समन निराधार है.’’

पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि धनशोधन के अपराध में ‘धन’ और ‘धन शोधन’ होना चाहिये. नेशनल हेराल्ड मामले में कर्ज को हिस्सेदारी में बदला गया है और उधार देने वाले बैंक नियमित आधार पर ऐसा करते हैं. इस मामले में पैसे का कोई लेन-देन नहीं हुआ.
उन्होंने कहा, इसलिये इसे धनशोधन का मामला कैसे कहा जा सकता है. उन्होंने दलील दी, ”यह एक व्यक्ति पर ‘बटुआ छीनने’ के अपराध का आरोप लगाने जैसा है, जबकि कोई बटुआ था ही नहीं और छीना भी नहीं गया.

चिदंबरम ने कहा कि वह कांग्रेस सदस्य के रूप में पार्टी के नेता राहुल गांधी के साथ एकजुटता व्यक्त करेंगे और सोमवार को उनके साथ ईडी कार्यालय तक होने वाले मार्च में शामिल रहेंगे. चिदंबरम ने सरकार के इस तर्क पर भी प्रतिक्रिया दी कि एजेंसियां अपना काम करती हैं और विपक्ष ने अगर कुछ गलत नहीं किया तो उसे ंिचता नहीं करनी चाहिये.

उन्होंने कहा कि जहां तक ईडी ‘अपना काम कर रही है’ का सवाल है, तो मैं कहना चाहूंगा कि ”ऐसा प्रतीत होता है कि ईडी का अधिकार क्षेत्र भाजपा के सदस्यों या भाजपा द्वारा शासित राज्यों तक नहीं है.” विपक्ष के खिलाफ ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल किये जाने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों की ”चुंिनदा कार्रवाई” ने विपक्षी दलों के मन में संदेह पैदा किया है.

उन्होंने कहा, ”मैं और कुछ नहीं कहूंगा.” धनशोधन मामले में 13 जून को राहुल गांधी के ईडी के समक्ष पेश होने से पहले कांग्रेस ने फैसला किया है कि पार्टी के सभी शीर्ष नेता और सांसद यहां एजेंसी मुख्यालय तक विरोध मार्च निकालेंगे और केंद्रीय एजेंसियों के ”दुरुपयोग” के खिलाफ ”सत्याग्रह” करेंगे. राज्यों में भी सोमवार को कांग्रेस नेता एजेंसी के कार्यालयों तक मार्च निकालेंगे और ”सत्याग्रह” करेंगे.

पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले और इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के आ’’ान के बारे में चिदंबरम ने कहा, ”निश्चित रूप से, प्रधानमंत्री को दो (भाजपा) प्रवक्ताओं के आपत्तिजनक बयानों के तुरंत बाद बोलना चाहिए था और कार्रवाई करनी चाहिए थी.”

उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री की चुप्पी विस्मयकारी है, लेकिन यह पिछले मौकों पर उनकी चुप्पी के अनुरूप है. यह दुखद है कि सरकार तब बहरी बनी रही जब विपक्षी दलों, नागरिक समाज के नेताओं, लेखकों, विद्वानों और आम नागरिकों ने सरकार को इस्लामोफोबिया को समाप्त करने के लिए कहा था. वह तब होश में आई जब 16 देशों ने टिप्पणियों पर विरोध जताया.” चिदंबरम ने पूछा कि क्या भारतीय मुसलमानों को इस्लामोफोबिया को रोकने के लिए दूसरे देशों की ओर देखना चाहिये? देश के विभिन्न हिस्सों में इस मुद्दे पर जारी विरोध प्रदर्शनों पर, चिदंबरम ने कहा कि जब धर्म निरपेक्षता को बनाए रखने की बात आती है तो सरकार – और सरकार चला रही भाजपा- का ”कपटी रूप उजागर” हो जाता है.

चिदंबरम ने कहा, ”मैंने पढ़ा कि साध्वी प्रज्ञा ने नुपुर शर्मा का समर्थन किया है. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की चुप्पी, भाजपा के भीतर प्रवक्ताओं का समर्थन और 16 देशों के जोरदार विरोध पर नौकरशाहों की प्रतिक्रिया भाजपा के रुख के बारे में सबकुछ बयां कर रही है.” उन्होंने कहा कि यह कोई नयी बात नहीं है, इसका पता आरएसएस नेताओं के लेखन से लगाया जा सकता है.

चिदंबरम ने कहा, ”स्वाभाविक रूप से, मैं समाज में व्याप्त बेचैनी को लेकर ंिचतित हूं. अल्पसंख्यकों को भरोसे में लेना और शांति बहाल करना सरकार की जिम्मेदारी है.” देश में ईशंिनदा कानूनों की आवश्यकता पर चल रही बहस पर उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए पर्याप्त कानून हैं और नए कानून की कोई जरूरत नहीं है.

उन्होंने आरोप लगाया, ”भाजपा सरकारों के तहत कानूनों को बुरी नीयत और असमान तरीके से लागू किया जाता है.” यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस पर अतीत में ‘नरम ंिहदुत्व’ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया जाता रहा है और क्या पार्टी को अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर आक्रामक रुख अपनाने की जरूरत है. इस पर चिदंबरम ने अपनी पार्टी के नरम ंिहदुत्व पर चलने की बात को खारिज कर दिया और कहा कि धर्मनिरपेक्षता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लेकर कांग्रेस के आधिकारिक रुख, संकल्प और बयान में कभी कोई बदलाव नहीं आया है.

उन्होंने कहा, ”कांग्रेस को आक्रामक या रक्षात्मक होने की जरूरत नहीं है. हमें संविधान की इस घोषणा पर कायम रहना होगा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है.” कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, ”विचार, वचन और कर्म से हमें धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए और धर्मनिरपेक्षता के मूल मंत्र से कभी नहीं हटना चाहिए.” चिदंबरम, ”हम अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों के पक्ष में हर अवसर पर बोलेंगे और लिखेंगे.”

 

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