रूरल इंडस्ट्रियल पार्क से साकार होगा बापू के ग्राम स्वराज और स्वावलंबी गांव का सपना : भूपेश बघेल

रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि गौठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित करने के लिए वहां और अधिक आर्थिक गतिविधियां संचालित करने की आवश्यकता है. इससे ग्रामीण स्वावलंबन की राह में आगे बढ़ेंगे और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज और स्वावलंबी गांवों को सपना साकार होगा.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज यहां अपने निवास कार्यालय में गोधन न्याय योजना के तहत पशुपालक ग्रामीणों, गौठानों से जुड़ी महिला समूहों और गौठान समितियों को 10 करोड़ 90 लाख रूपए की राशि के ऑनलाइन अंतरण कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे. मुख्यमंत्री द्वारा जारी की गई राशि में 1 जून से 15 जून तक राज्य के गौठानों में पशुपालक ग्रामीणों, किसानों, भूमिहीनों से क्रय किए गए गोबर के एवज में 2.95 करोड़ रूपए का भुगतान, गौठान समितियों को 4.79 करोड़ और महिला समूहों को 3.16 करोड़ रूपए की लाभांश राशि शामिल है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों में जैविक खाद के उत्पादन के साथ महिला स्व सहायता समूहों द्वारा मुर्गी पालन, मछली पालन, मशरूम उत्पादन, सब्जी उत्पादन जैसी अनेक आर्थिक गतिविधियां संचालित की जा रही है. इसके साथ ही साथ लघु वनोपजों में वेल्यू एडिशन का काम भी किया जा रहा है. इसका फायदा हमारी बहनों को हो रहा है. इससे बहनों में जो आत्मविश्वास आया है, वो कीमती है,

उसकी कीमत का आंकलन नही किया जा सकता. गौठानों में इन गतिविधियों को और बढ़ाना है, जिससे हमारे गांव-गांव में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क बने और ग्रामीण स्वावलंबी बने और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज और स्वावलंबी गांवों का सपना साकार हो. उन्होंने कार्यक्रम में किसानों और ग्रामीणों से आगामी खरीफ फसलों को पशुओं की चराई से बचाने के लिए आयोजित किए जा रहे रोका-छेका अभियान में सहयोग करने का आव्हान किया है. उन्होंने कहा कि इससे खेतों की फसल भी बचेगी और गोधन न्याय योजना से होने वाला लाभ भी बढ़ेगा.

इस अवसर पर गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल, संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद, विधायक रश्मि आशीष सिंह, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, गोधन न्याय योजना के नोडल अधिकारी अयाज फकीर भाई तंबोली, संचालक कृषि यशवंत कुमार, संचालक उद्यानिकी माथेश्वरन, संचालक पशुपालन श्रीमती चंदन संजय त्रिपाठी भी उपस्थित थे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी तक गोधन न्याय योजना के तहत 73 लाख 51 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी कर चुके है. इसके एवज में कुल 147 करोड़ 06 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है. गौठान समितियों और स्व सहायता समूहों को अब तक कुल 136 करोड़ 04 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है. गोधन न्याय योजना से 2 लाख 11 हजार से अधिक ग्रामीण, पशुपालक किसान लाभान्वित हो रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती-किसानी के दिन आ चुका है. नये जोश के साथ किसान तैयारी में जुट गए होंगे. मुझे पूरी उम्मीद है कि इस साल पिछले साल से ज्यादा उत्पादन करेंगे. खेती का रकबा भी इस साल और बढ़ेगा. धान का भरपूर उत्पादन छत्तीसगढ़ में हो रहा है, लेकिन अब आपको दूसरी फसलों के बारे में भी सोचना चाहिए, ताकि आप ज्यादा लाभ अर्जित कर सकें. आज खरीफ की सभी फसलों में राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत आदान सहायता की व्यवस्था कर दी गई है. किसान अपने क्षेत्र की जमीन की गुणवत्ता के अनुरूप फसलों का चयन करेंगे तो आपको ज्यादा लाभ होगा.

बघेल ने कहा कि रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें, इससे जमीन का उपजाऊपन बना रहेगा और लागत में भी कमी आएगी. छत्तीसगढ़ को रासायनिक खाद की आपूर्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है. हमारे यहां जितनी मात्रा की जरूरत है, उतनी मात्रा में केंद्र से रासायनिक खाद नहीं मिल पा रही है. इसको लेकर हम लगातार प्रयास कर रहे हैं. गोधन न्याय योजना से गांव-गांव में हो रहे जैविक खाद के उत्पादन ने छत्तीसगढ़ की खेती-किसानों को बड़ा संबल दिया है.

इस साल हम और बड़े पैमाने पर जैविक खाद के उत्पादन की तैयारी कर रहे हैं. मैंने अधिकारियों को ज्यादा से ज्यादा गोबर खरीदकर स्व सहायता समूहों के माध्यम से जैविक खाद बनाने के निर्देश दिए हैं. गोधन न्याय योजना से जुड़े सभी पशुपालकों, स्व सहायता समूहों और गौठान समितियों को इस बार और बड़ा लक्ष्य लेकर अपने काम को आगे बढ़ाना है. गोधन न्याय योजना की हर किश्त का भुगतान हमने आपको हमेशा समय पर किया है. पिछली किश्त मैंने 05 जून को कांकेर से जारी की थी. आज 46वीं किश्त का भुगतान रायपुर से किया जा रहा है.

कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि गौठानों की संख्या दोगुनी होने के कारण गोबर खरीदी भी दोगुनी हुई है. इसे आगे बढ़ाने की दिशा में विभाग के लोग कार्य कर रहे हैं. जब प्रदेश में दो रुपए किलो की दर से गोबर खरीदी का निर्णय लिया गया था तब किसी को यह भरोसा नहीं था कि यह ना केवल प्रदेश में बल्कि देश में इतना बड़ा अभियान बन जाएगा. अब तक 147 करोड़ रुपए की गोबर की खरीदी की गई है. गौठान समितियों ने स्वयं की राशि से 14 करोड़ रुपए का गोबर खरीदा.

इस प्रकार लगभग 160 करोड़ रुपए की राशि से गोबर खरीदी की गई. हमने अपनी गौठान समितियों को लगभग 136 करोड रुपए की राशि प्रदान की. लगभग 153 करोड़ रूपए का वर्मी कंपोस्ट तैयार हुआ है. उन्होंने कहा कि गौठान में अन्य गतिविधियों से स्व सहायता समूहों को लगभग 35 से 40 करोड रुपए की अतिरिक्त आमदनी हुई है. हमारा वर्मी कंपोस्ट और अन्य गतिविधियों से जो लाभ हुआ है, वह गोबर खरीदी की राशि से अधिक है. गोधन न्याय योजना के नोडल अधिकारी अयाज फकीर भाई तंबोली ने गोधन न्याय योजना की प्रगति की जानकारी दी.

Back to top button