ज्ञानवापी मामले की वादी महिलाओं ने कहा, मरते दम तक लड़ेंगे मुकदमा

वाराणसी. वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी में नियमित दर्शन पूजन और अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा के लिए दायर किये गए वाद के मुख्य पक्षकार विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन द्वारा वाद वापस लिए जाने की खबरों के बीच अन्य चार वादी महिलाओं ने कहा है कि वे मरते दम तक यह मुकदमा लड़ेंगी. बिसेन द्वारा रविवार को मुकदमा वापस लेने की खबर सामने आने के बाद उनसे बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने मना कर दिया.

मुकदमा वापसी का कारण भी स्पष्ट नहीं किया गया है. इसी बीच, विश्व वैदिक सनातन संघ से जुड़ी बताई जा रही मुकदमे की वादी पांच महिलाओं में से चार सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक और लक्ष्मी देवी ने रविवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मुकदमे को वापस लेने के फैसले के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. यदि इस तरह का कोई फैसला लिया भी जाता है तो वे उसके खिलाफ हैं. इस दौरान मुख्य याचिकाकर्ता व पांचवी महिला राखी सिंह मौजूद नहीं थीं.

गौरतलब है कि इसी मुकदमे के आधार पर गत छह और सात मई को ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी और सर्वे का काम किया गया है. इस मामले में हिन्दू पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि मुकदमा वापस लेने के बारे में अभी तक उन्हें कोई लिखित जानकारी नहीं मिली है.

उन्होंने कहा कि इस मामले में पांच महिलाएं वादी हैं. किसी एक के मुकदमा वापस लेने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इस बीच, ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधन संस्था ‘अंजुमन इंतजामिया मसाजिद’ के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने कहा कि मुख्य वादी के मुकदमा वापस लेने की खबर सामने आ रही है. बाकी वादी भले ही मुकदमा वापस नहीं लें मगर मुख्य वादी के रुख से अब यह मामला कमजोर जरूर हो जाएगा.

उन्होंने दावा किया कि यह मुकदमा ही गलत है, क्योंकि जिस श्रंगार गौरी में नियमित दर्शन-पूजन की मांग की जा रही है, वह ज्ञानवापी मस्जिद से करीब 12 मीटर की दूरी पर है. यासीन ने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद के प्रबंधन ने श्रृंगार गौरी पर कभी दावा नहीं किया और नियमित पूजा अर्चना पर कभी कोई आपत्ति नहीं रही.

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