संविधान और अदालत के आदेश का सम्मान नहीं करने वालों को सबक सिखाया जाना चाहिये: कर्नाटक गृह मंत्री

कोप्पल/बेंगलुरु. कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने हलाल विवाद के बीच बृहस्पतिवार को कहा कि संविधान और अदालत के फैसले का सम्मान नहीं करने वालों को सबक सिखाया जाना चाहिये. दरअसल कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने हिंदुओं से ‘होसा तड़ाकू’ महोत्सव के दौरान हलाल मांस का इस्तेमाल नहीं करने का अनुरोध किया है.

मंत्री का बयान ऐसे समय में आया है जब हिजाब पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मुसलमानों के एक वर्ग ने राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है. न्यायालय ने कक्षाओं में स्कूल में वर्दी के साथ हिजाब पहनने की अनुमति देने की उडुपी गवर्नमेंट गर्ल्स प्री यूनिर्विसटी कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं की याचिका को खारिज कर दिया था.

ज्ञानेंद्र ने यहां पत्रकारों से कहा, ”जो लोग भारतीय संविधान का सम्मान नहीं करते और कहते हैं कि अदालत का फैसला उन पर लागू नहीं होता, उन्हें सबक सिखाया जाना चाहिए. हम उन्हें विनम्रतापूर्वक कह रहे हैं कि आपको इस देश में इस तरह के काम नहीं करने चाहिए. कोई भी आपसे नफरत नहीं करता और हमें भाइयों की तरह रहना है.” मंत्री ने कहा कि हलाल से संबंधित मुद्दे पर सरकार की सीमित भूमिका है, जिसे लोगों की समझ पर छोड़ दिया गया है.

ज्ञानेंद्र ने कहा कि ‘हलाल भोजन का बहिष्कार’ अभियान कानून-व्यवस्था का मामला नहीं है, बल्कि आस्था और भावनाओं से जुड़ा है, जिसे हर कोई जानता है. एक अप्रैल को मनाए जाने वाले उगाड़ी उत्स्व के एक दिन बाद हिंदुओं का एक वर्ग जो मांसाहारी भोजन करते हैं, वे ‘होसा तड़ाकू’ का आयोजन करते है. जहां वे मांस पकाते हैं .

कर्नाटक में साम्प्रदायिक प्रतिरोध की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए : किरण मजूमदार-शॉ

कर्नाटक में ‘बढ़ते धार्मिक मतभेदों’ को सुलझाने के बायोकॉन प्रमुख किरण मजूमदार-शॉ के अनुरोध की पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बृहस्पतिवार को समाज के सभी वर्गों के लोगों से अपील की कि वे किसी भी सामाजिक मुद्दे को लेकर सार्वजनिक मंच पर जाने को लेकर संयम बरतें, क्योंकि इन मुद्दों को विचार विमर्श के जरिये सुलझाया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि कर्नाटक शांति और प्रगति के लिए जाना जाता है और इसे कायम रखने में हर किसी से सहयोग देने को कहा. उन्होंने मजूमदार-शॉ की उस ंिचता की ओर भी लोगों का ध्यान आकृष्ट किया, जिसमें उन्होंने (मजमूदार-शॉ ने) कहा है कि हमेशा से समावेशी आर्थिक विकास का रास्ता अपनाने वाले राज्य में यदि सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (आईटी/बीटी) सेक्टर साम्प्रदायिक हो जाते हैं तो यह वैश्विक नेतृत्व को तहस-नहस कर देगा.

उन्होंने मुख्यमंत्री को टैग करते हुए ट्वीट किया, ‘‘कर्नाटक ने हमेशा आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया है और हमें साम्प्रदायिक प्रतिरोध की अनुमति नहीं देनी चाहिए. यदि आईटीबीटी क्षेत्र साम्प्रदायिक हो गया तो यह हमारे वैश्विक नेतृत्व को तहस-नहस कर देगा. बी एस बोम्मई कृपया धर्म के आधार पर विभाजन के मुद्दे का निपटारा करें.’’ उन्होंने यह ट्वीट वार्षिक हिन्दू मेले के दौरान गैर-हिन्दू कारोबारियों और विक्रेताओं को मंदिर के आसपास कारोबार करने देने से इनकार किये जाने की घटनाओं के संदर्भ में किया था.

ट्वीट के संदर्भ में पूछे गये एक सवाल के जवाब में बोम्मई ने कहा, ‘‘राज्य में कई मुद्दे विचार के लिए आए हैं. यूनीफॉर्म के मुद्दे का फैसला उच्च न्यायालय ने कर दिया है. अन्य मुद्दों पर संबंधित लोगों से मेरी अपील है कि हम अपनी मान्यताओं के आधार पर अपनी जिन्दगी इतने सालों से काट रहे हैं. प्रत्येक व्यक्ति को शांति-व्यवस्था स्थापित करने में सहयोग करना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कर्नाटक शांति एवं प्रगति के लिए जाना जाता है और प्रत्येक व्यक्ति को संयम बरतना चाहिए तथा यह देखना चाहिए कि यह (शांति व्यवस्था) प्रभावित न हो. इसलिए (ऐसे मुद्दे पर) सार्वजनिक मंच पर जाने से पहले हर किसी को संयम बरतना चाहिए.’’ भाजपा राष्ट्रीय महासचिव सीटी कुमार ने मंगलवार को हलाल फुड को ‘आर्थिक जिहाद’ करार दिया था.

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