दिग्गज शेयर निवेशक राकेश झुनझुनवाला का 62 साल की उम्र में निधन

मुंबई. शेयर बाजार के दिग्गज निवेशक और ‘भारत के वारेन बफे’ कहे जाने वाले राकेश झुनझुनवाला का रविवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह 62 वर्ष के थे. उनकी ‘नेटवर्थ’ 5.8 अरब डॉलर (46,000 करोड़ रुपये) थी.
झुनझुनवाला की तरफ से हाल ही में शुरू की गई एयरलाइन ‘आकाश एयर’ के एक सूत्र ने बताया कि झुनझुनवाला को रविवार सुबह दिल का दौरा पड़ा. उन्हें फौरन ब्रीच कैंडी अस्पताल ले जाया गया लेकिन अस्पताल पहुंचने तक उनका निधन हो चुका था. उनके भाई के दुबई से आने के बाद रविवार शाम को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

वह अपने पीछे पत्नी और तीन बच्चों को छोड़ गए हैं. वह कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे. उन्हें गुर्दे को लेकर कुछ परेशानी थी. अपने आखिरी सार्वजनिक कार्यक्रम में वह व्हीलचेयर पर आए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झुनझुनवाला के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने आर्थिक जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ी है.

मोदी ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘राकेश झुनझुनवाला ंिजदादिल, हाजिरजवाब और गहरी समझ वाले व्यक्ति थे.’’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट किया, ‘‘श्री राकेश झुनझुनवाला अब नहीं रहे. वह जोखिम लेने में काफी साहस दिखाते थे और शेयर बाजार को लेकर उनकी समझ जबर्दस्त थी. मेरी उनके साथ कई बार बातचीत हुई. उनको भारत की ताकत और क्षमता में भरोसा था.’’ देश के सबसे अमीर व्यक्ति और अडाणी समूह के प्रमुख गौतम अडाणी ने कहा कि झुनझुनवाला पूरी पीढ़ी के लिए प्रेरणा थे.

टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि झुनझुनवाला को भारत में भरोसा था और वह देश की क्षमता में विश्वास रखते थे. फोर्ब्स के अनुसार, झुनझुनवाला की नेटवर्थ 5.8 अरब डॉलर थी. फोर्ब्स की 2021 की सूची के अनुसार, वह भारत के 36वें सबसे अमीर व्यक्ति थे. कई बार उनकी तुलना दिग्गज अमेरिकी निवेशक वारेन बफे से की जाती थी. उन्हें भारतीय बाजारों का ‘बिग बुल’ भी कहा जाता था.

उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में भारतीय शेयर बाजारों में निवेश की शुरुआत मात्र 5,000 रुपये की पूंजी से की थी. उन्होंने हाल में जेट एयरवेज के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विनय दुबे और इंडिगो के पूर्व प्रमुख आदित्य घोष के साथ मिलकर देश की नई किफायती विमान सेवा कंपनी ‘आकाश एयर’ की शुरुआत की. इस एयरलाइन ने एक हफ्ते पहले ही मुंबई से अहमदाबाद की उड़ान के साथ अपना परिचालन शुरू किया है.

चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) रहे झुनझुनवाला ने कंपनियों के खातों का आॅडिट करने के बजाय दलाल पथ की राह चुनी. 1985 में उन्होंने 5,000 रुपये की पूंजी के साथ इसकी शुरुआत की. उनके पोर्टफोलियो में स्टार हेल्थ, टाइटन, रैलिस इंडिया, केनरा बैंक, इंडियन होटल्स कंपनी, एग्रो टेक फूड्स, नजारा टेक्नोलॉजीज और टाटा मोटर्स शामिल हैं. उनका तीन दर्जन से ज्यादा कंपनियों में निवेश था. टाइटन, स्टार हेल्थ, टाटा मोटर्स और मेट्रो ब्रांड्स जैसी कंपनियों में उनकी बड़ी हिस्सेदारी थी.

अकेले टाइटन में ही उनकी 5.05 प्रतिशत हिस्सेदारी का मूल्य 11,000 करोड़ रुपये है. उनकी सबसे अधिक 23.37 प्रतिशत हिस्सेदारी एप्टेक लि. में है. स्टार हेल्थ एंड अलायड इंश्योरेंस कंपनी में उनकी 17.49 प्रतिशत, मेट्रो ब्रांड्स में 14.43 प्रतिशत, एनसीसी लि. में 2.62 प्रतिशत और नजारा टेक्नोलॉजीज में 10.03 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
वह हंगामा मीडिया और एप्टेक के चेयरमैन थे. वह कई कंपनियों के निदेशक मंडल में भी शामिल थे.

झुनझुनवाला का जन्म पांच जुलाई, 1960 को राजस्थान के परिवार में हुआ था. वह मुंबई में पले-बढ़े थे. मुंबई में उनके पिता आयकर आयुक्त थे. उन्होंने साइडेन्हेम कॉलेज से स्रातक की डिग्री हासिल की और बाद में भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) में नामांकन कराया.

झुनझुनवाला ने 1986 में टाटा टी के 5,000 शेयर 43 रुपये के भाव पर खरीदे. तीन माह में यह शेयर 143 रुपये पर पहुंच गया. यह उनका पहला बड़ा मुनाफा था. तीन साल में उन्होंने 20 से 25 लाख रुपये की कमाई की. झुनझुनवाला ने जिस समय शेयर बाजारों में निवेश करना शुरू किया उस समय सेंसेक्स 150 अंक पर था. आज सेंसेक्स 59,000 अंक के स्तर पर मौजूद है.

घोटालों से दूर रहकर अपनी दूरगामी सोच से बिग बुल बने थे झुनझुनवाला

भारतीय शेयर बाजार हमेशा जोखिमों से घिरा रहा है. यहां तगड़ी कमाई करने वाले लोगों के नाम अक्सर घोटालों के साथ जुड़ते रहे हैं जिससे निवेशकों के मन में हमेशा ही एक तरह का संदेह हावी रहा है. लेकिन राकेश झुनझुनवाला ने अपने तरीकों से इस छवि को बदला और करीब 5.8 अरब डॉलर का ‘नेटवर्थ’ खड़ा कर वह भारत के सबसे बड़े व्यक्तिगत निवेशक बन गए थे.

काफी हद तक साफ-सुथरी छवि के साथ शेयर बाजार में लंबे समय तक सक्रिय रहे झुनझुनवाला भारतीय बाजार के नए ‘बिग बुल’ कहलाए. उनसे पहले यह तमगा हर्षद मेहता और केतन पारेख जैसे बड़े निवेशकों के पास रहा लेकिन उनके नाम अलग-अलग घोटालों से जुड़े रहे. निवेश को लेकर अलग तरह की समझ के चलते झुनझुनवाला को ‘भारत का वारेन बफे’ कहकर पुकारा जाता रहा. संपत्ति सृजन को लेकर बेहद सजग रहने वाले झुनझुनवाला के बड़ी हस्तियों से करीबी ताल्लुकात भी रहे.

भले ही उनका नाम शेयर घोटालों से नहीं जुड़ा लेकिन वह भेदिया कारोबार के कुछ मामलों से जरूर जुड़े रहे. इसके अलावा बड़ी घटनाओं के पहले शेयरों की खरीद-बिक्री को लेकर उनका रुख भी सवालों के घेरे में रहा. पिछले साल ही उन्होंने एप्टेक से जुड़े भेदिया कारोबार के एक मामले का निपटारा 37 करोड़ रुपये के भुगतान पर सहमति जताकर किया था. इसके अलावा वर्ष 2021 में सोनी पिक्चर्स के साथ अधिग्रहण के फैसले के पहले जÞी एंटरप्राइजेज के शेयरों में मोटा निवेश कर थोड़े समय में ही 70 करोड़ रुपये का लाभ कमाने पर भी कई तरह की शंकाएं उठी थीं.

इन छिटपुट मामलों के बावजूद झुनझुनवाला की खासियत उनका शोध-आधारित शेयर चयन ही रहा. टाइटन और इंडियन होटल्स कंपनी जैसे शेयरों पर लगाए गए उनके सोचे-समझे दांव ने उन्हें भारतीय बाजार का बड़ा नाम बनाने में अहम भूमिका निभाई.
हालत यह हो गई कि झुनझुनवाला के पोर्टफोलियो में शामिल शेयरों को लेकर उनके हरेक कदम पर निवेशकों की नजरें रहने लगीं. यह अलग बात है कि ढांचागत क्षेत्र में झुनझुनवाला के कुछ निवेश अधिक कारगर नहीं साबित हुए लेकिन इसकी भरपाई उनके बाकी शेयर करते रहे.

हालांकि, कंपनियों के उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं करने पर भी एक निवेशक के तौर पर झुनझुनवाला काफी सख्त रुख अपनाते थे. वह इन कंपनियों के प्रबंधन से कड़े सवाल पूछने से परहेज नहीं करते थे. खुलकर अपनी बात करना और चुटीला अंदाज उनकी खासियत रही. अन्य शेयर निवेशकों के उलट उन्हें सार्वजनिक रूप से अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में कोई परहेज नहीं रहा और उन्होंने कई सम्मेलन में खुलकर शिरकत की. यहां तक कि वह बाजार से इतर की गतिविधियों पर भी अपनी राय खुलकर रखते थे.

कई मुद्दों पर उनका नजरिया सत्तारूढ़ सरकार के रुख से मेल खाता था. यही वजह है कि पिछले साल जब वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंचे तो किसी को भी ज्यादा अचरज नहीं हुआ. झुनझुनवाला ने ंिजदगी के अंतिम दिनों में जिस एयरलाइन ‘आकाश एयर’ को शुरू करने के लिए पूरी कोशिश की, वह पिछले हफ्ते ही अपनी पहली उड़ान के साथ मुकाम पर जा पहुंची.

वह अक्सर निवेशकों को अटकलबाजी से बचने और शेयरों के बारे में पूरी पड़ताल करने की सलाह देते थे. वह रोजमर्रा के शेयर कारोबार के बजाय दीर्घकालिक निवेश को अधिक तरजीह देते थे. झुनझनवाला कहा करते थे कि कोई भी शख्स मौसम, मौत और बाजार के बारे में कोई अनुमान नहीं लगा सकता है. उनकी यह बात सही साबित हुई और रविवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.

भारत को नयी उड़ान कंपनी ‘अकासा एयर’ देने के लिए झुनझुनवाला को याद किया जाएगा: सिंधिया

नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रविवार को राकेश झुनझुनवाला के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें एक दशक से अधिक समय के बाद भारत को नयी उड़ान कंपनी ‘अकासा एयर’ देने के लिए याद किया जाएगा. झुनझुनवाला का ‘नेटवर्थ’ 5.8 अरब डॉलर (46,000 करोड़ रुपये) है. अकासा एयर में उनकी 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

सिंधिया ने सात अगस्त को मुंबई से अहमदाबाद के बीच अकासा एयर की पहली उड़ान को हरी झंडी दिखाई थी. अकासा एयर को सात जुलाई को नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की ओर से उड़ान संचालन प्रमाण पत्र मिला था. सिंधिया ने रविवार को कहा, ‘‘श्री राकेश झुनझुनवाला जी न केवल एक कुशल व्यवसायी थे, बल्कि भारत के विकास में भी निवेश करते थे. उन्हें एक दशक से अधिक समय के बाद भारत को नयी उड़ान कंपनी अकासा एयर देने के लिए याद किया जाएगा. मैं उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति संवेदनाएं प्रकट करता हूं.’’

झुनझुनवाला सात अगस्त को अकासा एयर की पहली उड़ान को हरी झंडी दिखाने के दौरान मुंबई हवाई अड्डे पर मौजूद थे. झुझुनवाला ने तब अपने संबोधन में कहा था, ‘‘मुझे आपको (सिंधिया) धन्यवाद देना चाहिए क्योंकि लोग कहते हैं कि भारत में बहुत खराब नौकरशाही है लेकिन नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने हमें जो सहयोग दिया है, वह अविश्वसनीय है.’’

उन्होंने कहा था कि दुनिया में कहीं भी किसी भी एयरलाइन की कल्पना किए जाने के बाद उसे 12 महीनों में मूर्त रूप नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘आम तौर पर एक बच्चा नौ महीने में पैदा होता है, हमें 12 महीने लगे. नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सहयोग के बिना यह संभव नहीं होता.’’

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