हम उप्र-बिहार में बंदूक और हिंसा की धारणा को चुनौती देना चाहते थे: ‘पंचायत’ के निर्देशक व लेखक

नयी दिल्ली. ‘पंचायत’ वेब सीरीजÞ के लेखक व निर्देशक का कहना है कि वे उत्तर प्रदेश और बिहार में ‘‘बंदूक और हिंसा’ की धारणा को चुनौती देना चाहते थे. ओटीटी (ओवर द टॉप) मंच पर प्रसारित ‘पंचायत’ के पहले सीजÞन की कहानी उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के फूलेरा गांव की थी. यह 2020 में रिलीजÞ हुई थी और इसका दूसरा संस्करण पिछले हफ्ते रिलीजÞ किया गया है. लेखक चंदन कुमार और निर्देशक दीपक कुमार मिश्रा ने कहा कि दर्शकों और आलोचकों से जिस तरह की प्रशंसा उन्हें मिली है, इसने उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया है.

चंदन ने पीटीआई-भाषा को आॅनलाइन दिए साक्षात्कार में कहा,‘‘ हम एक ऐसा कार्यक्रम बनाना चाहते थे जहां शहर में रहने वाला लड़का ग्रामीण क्षेत्र में जाए. इस तरह से ‘पंचायत’ का विचार आया. हम वास्तविक मुद्दों को उठाना चाहता थे और उन्हें हल्के, मजेदार और व्यंग्यपूर्ण तरीके से प्रस्तुत करना चाहते थे.’’ यह कार्यक्रम इंजीनियंिरग में स्रातक व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमता है जिसे अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती है और वह गांव में पंचायत सचिव की नौकरी करने लगता है. दूसरा सीजÞन उत्तर प्रदेश के एक गांव के दैनिक जीवन, उससे जुड़े मुद्दों और अन्य बातों पर केंद्रित है. इसमें रघुबीर यादव, नीना गुप्ता, जितेंद्र कुमार, चंदन रॉय और फैसल मलिक जैसे पुराने और नए कलाकारों ने काम किया है.

दीपक ने कहा, ‘‘ हम उस जगह पले-बढ़े हैं. मैं वाराणसी से हूं और चंदन बिहार से. हमें पता है कि वहां हमेशा गोलीबारी नहीं होती है, न ही हमेशा हिंसा होती है. वहां पर लोगों की अपनी कहानियां हैं, अपने मसले हैं. वे छोटे हैं, पर वे उनके लिए लड़ते हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी धारणा है कि इन जगहों पर हमेशा गोली बारी होती रहती है. हम ‘गोली बंदूक’ से परे वास्तविकता दिखाकर उस धारणा को चुनौती देना चाहते थे.’’ चंदन ने कहा कि वह हमेशा से ग्रामीण परिवेश पर कुछ बनाना चाहते थे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं जिसे दर्शक पहले से जानते हों.

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